कार से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कारावास

न्यायालय ने आरोपी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया

सागर, 09 नवम्बर। विशेष न्यायाधीश (अंतर्गत धारा 36(1) स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर अब्दुल्लाह अहमद के न्यायालय ने कार से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी कल्याण चक्रवर्ती को दोषी करार देते हुए स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा 8, सहपठित धारा 20(बी)(आईआई)(सी) के तहत 10 वर्ष कठोर कारावास एवं एक लाख रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले के दो अन्य आरोपी अभी फरार चल रहे हैं। प्रकरण की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक संजय कुमार पटैल ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना गोपालगंज पुलिस को 20 फरवरी 2020 को करीब एक बजे मुखबिर से सूचना मिली कि राजघाट रोड मैनपानी के रास्ते एक मारुति सुजुकी बैगनार कार में कुछ व्यक्ति अवैध मादक पदार्थ विक्रय हेतु ले जा रहे हैं, जिसकी सूचना सान्हा में दर्ज की गई। सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भेजने के पश्चात हमराह स्टाफ सहित विवेचना किट लेकर मुखबिर के बताए स्थान आरटीओ तिराहा पहुंचे, जहां पर बिना नंबर की एक बैगानार कार खडी थी। कार में बैठे संदेहियों को घेराबंदी कर पकडा गया, नाम पता पूछने पर अपने नाम भरत प्रजापति, कल्याण चक्रवर्ती एवं मुकेश कुमार माग्रे बताए, जिन्हें मुखबिर सूचना से अवगत कराया गया। आरोपीगण की कार की तलाशी ली गई, जिसमें बीच में तथा पीछे तरफ तीन प्लास्टिक की सफेद बोरियां भरी मिलीं, जिन्हें खोलकर देखने पर उनमें हरे रंग का मटमैला पत्तीदार पदार्थ पाया गया, जिसे संूघ कर, रगड कर एवं जला कर देखने पर वह मादक पदार्थ गांजा होना पाया। आरोपीगण के आधिपत्य से जब्त मादक पदार्थ को तौल करने पर एक बोरी से 15 किलो, दूसरी बोरी से 15 किलो एवं तीसरी बोरी से नौ किलो 200 ग्राम कुल वजन 39 किलो 200 ग्राम होना पाया। आरोपी का कृत्य धारा 8/20 एनडीपीएस एक्ट के तहत पाए जाने से उसे गिरफ्तार किया गया एवं थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना गोपालगंज में धारा 8, सहपठित धारा 20(बी)(आईआई)(सी) एनडीपीएस एक्ट 1985 का अपराध आरोपीगण के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरुद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (अंतर्गत धारा 36(1) स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुए आरोपी को उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।