पुरुषार्थ के साथ धर्म आराधना करें, तभी पुण्य बढ़ेगा : विनय सागर

भक्ताम्बर विधान में ब्रह्मचारी भैया की फल व मेवों से भारी गोद

भिण्ड, 05 अगस्त। भगवान महावीर स्वामी ने कहा कि जब तक शरीर पीडा रहित है, तब तक इंसान को धर्म आराधना कर लेना चाहिए। शरीर में बुढ़ापा आने के बाद धर्म आराधना करना संभव नहीं होता है। धर्म मार्ग पर पहुंचने के लिए शक्ति का होना जरुरी होता है। अस्वस्थता और बुढ़ापे के समय धर्म आराधना शक्ति की कमी होने के कारण नहीं हो पाती है। पहला सुख निरोगी काया। समाधि मरण वाले की सदगति होगी। मानव के हाथों में एक सेकेंड का भी समय नहीं है। जो होना है वह होकर रहेगा, होनी को कोई भी टाल नहीं सकता है। निकाचित कर्मों के बंध कभी भी छूटते नहीं हैं। इसे मानव तो क्या तीर्थंकर परमात्मा को भी भोगना पडता है। यह उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में शनिवार को महावीर कीर्तिस्तंभ मन्दिर में आयोजित 48 दिवसीय भक्तामर महामण्डल विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि धर्म आराधना में समाधि भाव के साथ कष्ट सहन करने की शक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि पुण्य की कमी के कारण संकट आता है। पुण्य की अभिवृद्धि के लिए पुरुषार्थ के साथ धर्म आराधना करना चाहिए। पुण्यशाली को साधन सुविधाएं दोनों मिलती हैं। पुण्य की कमी से रोगों की उत्पत्ति होती है। पुण्य कमजोर हो तो धन, दौलत, साधन, सुविधा होने के बाद भी इंसान उसका उपभोग नहीं कर पाता है। संत साधक और समदृष्टि होते है। संत में राग-द्वेष नहीं होता है, वे इससे मुक्त होते हैं। वे हमेशा सही मार्ग की ओर जाने के लिए प्रेरित करते हैं। सच्चे गुरू और संत वो होते हैं जो भक्त के चित्त पर ध्यान देते हैं और उसकी आत्मा को दुर्गति से बचाकर कल्याण के मार्ग की और भेजने के लिए प्रेरित करते हैं। धन भी आपका तब तक है जब तक आपका पुण्य प्रबल है। पुण्य के कमजोर होते ही धन भी आपका साथ छोड देता है। मानव जीवन हमें बडे पुण्य करने पर मिला है। संसार से कुछ भी ले जाने की हमारी ताकत नहीं है तो फिर झूठा अहंकार क्यों। गुरू ही हमारे मार्गदर्शक हैं।
जैन समाज ने ब्रह्मचारी भैया की गोद फल व मेवों से की भराई
मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में प्रवचन सभा में ब्रह्मचारी भैया आनंदस्वरूप जैन (मास्टर साहब जलेसर वाले) की गोद भराई जैन समाज के लोगो ने नारियल, काजू, किशमिश, बादाम, आदि मेवा व फल से रस्म की गई। नोएडा में मोक्षमार्ग के पथिक ब्रह्मचारी भैया आनंदस्वरूप जैन की दीक्षा आचार्य निर्भय सागर महाराज के कर कमलों से संपन्न होगी।
मुनि ने मंत्रों की आरधान से भगवान जिनेन्द्र का कराया अभिषेक
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में केशरिया वस्त्रों में इन्द्रों ने मंत्रों के साथ कलशों से भगवान आदिनाथ का जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर राकेश मोहित जैन परिवार ने की शांतिधारा। मुनि को शास्त्र भेंट समाज जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन राकेश, मोहित जैन परिवार ने किया।
भक्ताम्बर महामण्डल विधान में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने चढ़ाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में राकेश, मोहित जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर भक्ति नृत्य करते हुए महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष मण्डप पर समर्पित किए।