48 दिवसीय भक्ताम्बर विधान में हो रही है प्रभु आरधान
भिण्ड, 30 जुलाई। व्यक्ति अपने मन को पावन करने के लिए भगवान की भक्ति करता है। उनके गुणगान गाता है। हम प्रभु की भक्ति अनेक प्रकार से करते हैं। प्रभु की स्तुति करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं। स्तोत्र पाठ पढकर प्रभु को स्मरण आदि करके इंसान प्रभु की भक्ति करता है। आत्मा, मन, स्वयं को पावन बनाने के लिए प्रभु की आराधना बहुत जरूरी है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को रोज सुबह उठकर नियम से प्रभु भक्ति एवं गुरुओं की सेवा करनी चाहिए। यह उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में रविवार को महावीर कीर्तिस्तंभ मन्दिर में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में धर्मसभा को सांबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि दान में सबसे श्रेष्ठ दान आहार दान है, जिसका फल व्यक्ति को तुरंत प्राप्त होता है, अन्य दानों का फल कभी भी तुरंत नहीं मिलता। आहार दान में व्यक्ति का तन शुद्धि, मन शुद्धि एवं वचन शुद्धि का होना अति आवश्यक है। क्योंकि बिना शुद्धि के साथ साधू का आहार दान नहीं हो सकता। साधू जब भी आहार लेता है पूर्ण शुद्धि के साथ लेता है। श्रावक पूर्ण शुद्धि के साथ साधू को चौके तक लेकर आता है और साधु को आहार कराता है। श्रावक के एक आहार दान से उसके लाखों दिनों की भोजन की व्यवस्था हो जाती है जो व्यक्ति साधू को प्रतिदिन आहार देता है, उसे नियम से भोगभूमि प्राप्त होती है। जहां पर कुछ भी करना नहीं पडता, इच्छा करते ही भोजन की प्राप्ति हो जाती है। वहीं भक्ताम्बर विधान में संगीतमय भजनों पर महिलाओं व बालिकाओं ने सामूहिक झूमकर कर भक्ति नृत्य किया।
विधान में भगवान जिनेन्द्र का किया अभिषेक, हुई शांतिधारा
प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में केशरिया वस्त्रों में इन्द्रों ने मंत्रों के साथ कलशों से जलाभिषेक भगवान आदिनाथ का जयकारों के साथ किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा- नरेश कुमार जैन, प्रशांत जैन, देवेन्द्र जैन परिवार ने की शांतिधारा। मुनि को शास्त्र भेंट समजा जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन सुधा जैन, नरेश कुमार जैन प्रशांत जैन व देवेन्द्र पुष्प जैन परिवार ने किया।
भक्ताम्बर विधान में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने पूजन कर चढाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में सुधा जैन, आकाश जैन, नरेश कुमार जैन, प्रशांत जैन, हेमा जैन व देवेन्द्र पुष्प जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर भक्ति नृत्य करते हुए महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष मण्डप पर समर्पित किए।