अशोक सोनी ‘निडर’
राजनीति जो भारत मां की गौरव गाथा गाती थी।
राजनीति जो नर नारायण की सेवा कहलाती थी।।
राजनीति जो आजादी के अवतारों से मण्डित थी।
जो आंधी तूफानों में भी रहती सदा अखण्डित थी।।
राजनीति जिसको चाणक्य सरीखा स्वाभिमान मिला।
जिसको तिलक गोखले जैसा अनमोल एक वरदान मिला।।
इन्दिरा बनकर ये दुश्मन पर चोट कर दिया करती है।
वाजपेई बन परमाणु विस्फोट कर दिया करती है।।
लेकिन अब ये दम तोड रही हैं वोटों के मैदानों में।
इसकी भावुकता वंदी है अंधियारे तहखानों में।।
आजादी की खादी बैठी है अब मलमल के थानों में।।
महलों की पटरानी बैठी गंदे ठौर ठिकानों में।।
अपना चीर हरण करवा बैठी है नादानों में।
दारू पीकर नाच रही है राजनीति मयखानों में।।
जो भाषण का भोजन रखते हैं भूखों की थाली में।
वे गंगा दर्शन करवा सकते हैं गंदी नाली में।।
सूख गए हर एक किनारे वो ऐसी जलधार बनी।
काले धन की हर कोठी की सच्ची पहरेदार बनी।।
लेकिन जो इतना इतराते कुर्सी तख्तों ताजों पर।
नौकर बनकर खड़े हुए हैं गुण्डों के दरवाजों पर।।
संस्कार के श्वेत पटों पर कीचड़ रोज उछलता है।
पुण्य पुष्प की अभिलाषा को देखो पाप कुचलता है।।
भूले कदमों की खातिर सब ठोकर खाकर बैठे हैं।
राष्ट्रवाद के सभी सारथी जोकर बनकर बैठे हैं।।
बुरे वयानों की वयार से बस्ती दूषित होती है।
सदनों में भाषा की गंगा रोज प्रदूषित होती है।।
आजादी से अब तक का इतिहास जहां पर जिंदा है।
उस संसद की गाली सुनकर आजादी शर्मिंदा है।।
कवि- राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार उप्र के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं स्वतंत्रता सेनानी/ उत्तराधिकारी संगठन मप्र के प्रदेश सचिव हैं।