महावीर चौक में चल रहे हैं जैन संतों के प्रवचन
भिण्ड, 27 मई। गणाचार्य विराग सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्या मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज के मांगलिक प्रवचन महावीर चौक में चल रहे हैं।
इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज ने कहा कि जैन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है, क्योंकि जहां भी जमीन की खुदाई की जाती है वहां पर जैन धर्म की मूर्तियां जो सिर्फ दिगंबर आमनाओं की ही निकलती हैं, हमारे जैन तीर्थ महावीरजी हो, शिखरजी हो, अयोद्धया, कैलाशपर्वत, वाराणसी, गिरनारजी, पावापुरी, चम्पापुरी, श्रवणबेलगोला, बावनगजा, चांदखेड़ी, भिण्ड के पास बरासो, पावई ,अभी हाल ही में शिवपुरी के पास खुदाई के दौरान जैन धर्म की प्रतिमा निकली जिससे स्वयं ही प्रतीत होता है कि जैन धर्म कितना प्राचीन होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैनधर्म को श्रमणों का धर्म कहा जाता है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव हैं, जो भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। कई वेदों में भी प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के नाम का उल्लेेख मिलता है एवं अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी हुए। जिनके शासन काल में आज धर्म की प्रभावना कर रहे हैं। जैन शब्द जिन शब्दा से बना है। ‘जि’ धातु से जिसका अर्थ है जीतना। जिन अर्थात जीतने वाला जिसने स्वायं को जीत लिया उसे जीतेन्द्रिय कहते हैं।
इस अवसर पर नगर पालिका विधायक प्रतिनिधि सुनील वाल्मीकि, पार्षद शैलेन्द्र रितौरिया, पार्षद मनोज जैन, कमलेश तांतरी, सुनील जैन, जगदीश जैन, रतनलाल जैन, सुभाष जैन, संजीव जैन बल्लू, छोटू जैन सुखानंद, निखिल जैन, मोनू जैन आदि महिला-पुरुष एवं बच्चे उपस्थित थे।
विहसंत सागर ससंघ को हलवाई खाना मन्दिर कमेटी ने चढ़ाया श्रीफल
महावीर चौक जैन मन्दिर के पास विराजमान मेडिटेसन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज ससंघ को हलवाई खाना जैन मन्दिर कमेटी ने मन्दिर में प्रवास एवं प्रवचन के लिए श्रीफल चढ़ाया, तो महाराज ने सहज स्वीकृति प्रदान करते हुए कहा कि 28 जून को सुबह सात बजे महावीर चौक से हलवाई खाना जैन मन्दिर के लिए मंगल विहार करेंगे। वहां पर प्रवास के दौरान प्रवचन एवं नगर के मेला ग्राउण्ड में होने वाले शांतिनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में इस बार तीन गजरथ निकाले जाएंगे, जिसके बारे में श्रृद्धालुओं को प्रवचनों के माध्यम से बताया जाएगा।