गंगाजल जल नहीं, भगवान का साक्षात रूप है : मुदगल

ग्राम गाता में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 02 मई। गंगाजल जल नहीं भगवान का साक्षात रूप है, इसलिए गंगाजल को पानी कहने में भी पाप लगता है। यदि घर के बाथरूम में नहाते समय हम गंगा, गंगा कहें तो हमे ऐसा लगेगा कि गंगाजल से स्नान कर रहे हैं, ऐसा लगेगा कि हरिद्वार में हरि की पौड़ी में डुबकी लगा रहे हों। यह विचार ग्राम गाता में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत में कथा के दौरान कथा व्यास श्री लखन भाई मुदगल ने व्यक्त किए।

उन्होंने भागवत कथा के पांचवे दिन मंगलवार को राम जन्म और कृष्ण जन्म की कथा सुनाई। जिसमें भय प्रकट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी और नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजन पर पण्डाल में बैठे हुए श्रृद्धालु झूम उठे। जैसे पूरा गांव राम और कृष्णमय हो गया हो। इस अवसर पर कांग्रेस के नेता राहुल भदौरिया ने कथा में पहुंचकर महाराजश्री से आशीर्वाद लिया। कथा के बाद हजारों श्रृद्धालुओं ने भण्डारे में प्रसादी ग्रहण की। कथा परीक्षित राजेन्द्र सिंह भदौरिया और उनके सुपुत्र रघुराज सिंह भदौरिया ने समस्त ग्राम वासियों से व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग की अपील की। पूर्व सरपंच भास्कर शर्मा ने भी व्यवस्था में सहयोग करने और कथा सुनकर पुण्य लाभ प्राप्त करने की अपील की। भास्कर शर्मा ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे गांव में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हो रहा है। इसका हमें पूरा लाभ लेना चाहिए।