ग्राम मानहड़ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन
भिण्ड, 04 अप्रैल। संसार में कृष्ण और सुदामा जैसा मित्र दुर्लभ है। कृष्ण और सुदामा की मित्रता अलौकिक थी, उनके हृदय में भेदभाव द्वेष ना था। यह बात कथा व्यास आचार्य वासुदेव शास्त्री ने ग्राम मानहड़ में पीपरा वाले बाबा मन्दिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कही।
शास्त्री ने कहा कि सुदामा दरिद्र होने पर भी कभी कृष्ण के पास हाथ फैलाने नहीं गया और जब कृष्ण के पास गए तब कृष्ण ने निश्चल प्रेम के साथ उनका स्वागत किया। इस दौरान रुक्मणी विवाह का भी वर्णन किया गया। अंत में परीक्षित की मोक्ष कथा का वर्णन हुआ। साथ ही कथा व्यास ने बताया कि किस तरीके से हमें अपने जीवन को शालीनता पूर्वक और सरल रखकर ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर परीक्षित इन्द्ररूप सिंह भदौरिया, कौशलेन्द्र सिंह भदौरिया, लला भदौरिया, गोपाल सिंह भदौरिया, नीरज सिंह भदौरिया, बादशाह सिंह भदौरिया, हेमराज सिंह भदौरिया, शैले सिंह भदौरिया, रज्जन सिंह भदौरिया, केशव सिंह भदौरिया सहित ग्रामीणजनों ने कथा का आनंद लिया।