अब देश के किसानों को प्राचीन ऋषि कृषि पद्धति से ही खेती करनी होगी : जनपद अध्यक्ष अटेर

अटेर किसान उत्पादक संस्था द्वारा प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण आयोजित

भिण्ड, 14 फरवरी। अटेर किसान उत्पादक संस्था ने कृषि विज्ञान केन्द्र लहार के सहयोग से प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण का आयोजन किया। प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए अटेर जनपद अध्यक्ष श्रीमती कमला श्रीनारायण ने कहा कि अब फिर समय की पुकार है कि प्राचीन ऋषि कृषि पद्धति से ही खेती करे भारतीय कृषि पद्धति गौ आधारित स्वावलंबी कृषि कहलाती है। गाय भारतीय कृषि की धुरी है, गाय बचेगी तो धरती माता का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, तभी मानव समाज का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, स्वस्थ भारत तो समृद्धि भारत।
कृषि विज्ञान केन्द्र लहार के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि अत्यधिक रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों के प्रयोग से धरती माता का स्वास्थ्य खराब हो गया है, उसमें पैदा होने वाले अन्न से आज कैसर जैसी बीमारियों से मानव समाज पीडि़त होता जा रहा है और पर्यावरण भी प्रदूषित हो ता जा रहा है, जब हमारे देश में खाद्यान्न की कमी थी हरित क्रांति के बाद अत्यधिक रासायनिक का उपयोग करके हम आत्म निर्भर तो हो गए, लेकिन गुणवत्ता की कमी हो गई, समाज स्वस्थ रखना है तो प्राकृति खेती ही करनी होगी। उन्होंने किसानों को जीवात्मा बीजामृत बनाने की पद्धति बताई, एक गाय से तीस एकड़ जमीन पर खेती की जा सकती है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. करन सिंह ने उद्यानिकी फसलों की खेती का एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक अवधेश सिंह ने बीज उत्पादन का प्रशिक्षण दिया। ग्राम के सरपंच पहल सिंह, रमेश दुवे, रामवीर भदौरिया ने अतिथियों का स्वागत किया। भूमिका संस्था अध्यक्ष नमो नारायण दीक्षित तथा संचालन श्रीकांत ने किया।