मानवता के सच्चे उपासक थे पं. दीनदयाल उपाध्याय : पाठक

भिण्ड, 11 फरवरी। भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन करते हुए भारतीय जनता युवामोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अतुल रमेश पाठक ने कहा कि भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसे बिरले ही नेता हुए हैं, जिन्होंने अपने विचारों और अथक परिश्रम से देश और समाज को नई राह दिखाई है। पं. दीनदयाल उपाध्याय का नाम उन्हीं महान नेताओं में शुमार है, अपने विचारों से उन्होंने देश की राजनीति को इस तरह से एकजुट किया था कि लोग उन्हें एकात्म मानवतावाद के पुरोधा मानते थे। उनकी कुशल संगठन क्षमता के लिए डॉ. श्यामप्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि अगर भारत के पास दो दीनदयाल होते तो भारत का राजनैतिक परिदृश्य ही अलग होता।
कार्यसमिति सदस्य पाठक ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे युगदृष्टा थे जिनके विचारों व सिद्धांतों ने देश को एक वैकल्पिक विचार धारा देने का काम किया। उनकी विचारधारा सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए थी और भारत को उसके गौरव पर पुन: स्थापित करने के लिए थी। यह उन्हीं की देन है कि ‘अंत्योदयÓ के चिंतन को राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर प्रमुखता से स्थान मिला। उनका मानना था कि मैले कुचैले अनपढ़ लोग हमारे नारायण हैं, हमें उनकी पूजा करनी चाहिए। यह हमारा सामाजिक एवं मानव धर्म है, उनका व्यक्तित्व राष्ट्रीय चिंतन, उच्च विचारों व मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण था, निर्धनों व गरीबों के उत्थान के लिए उनके दिए विचार सदैव प्रासंगिक रहेंगे।
उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की आदर्श हमें गरीबों की सेवा करने और उनके जीवन में सकारात्मक अंतर सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारा उद्देश्य है कि दीनदयाल जी के विचारों का समाज में अधिक से अधिक प्रसार हो, जिससे लोगों में राष्ट्रवाद और सेवा की भावना का अधिकतम विस्तार हो सके। पाठक ने कहा कि आज भले ही पं. दीनदयाल भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके विचार सदैव हमारा पथ प्रदर्शित करते रहेंगे। अंतिम आदमी के उत्थान का जो संकल्प उन्होंने लिया था, उसे पूर्ण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता तन-मन से प्रयत्नशील है।