बैकुंठ से ज्यादा महान है मृत्युलोक : शंकराचार्य

खनेताधाम में लाखों श्रद्धालु ले रहे हैं धर्म लाभ

भिण्ड, 05 फरवरी। साकेतवासी विजयराम दासजी महाराज की 25वी पुण्यतिथि पर रघुनाथजी मन्दिर ग्राम खनेता में आयोजित सनातन धर्म महासगागम के अवसर पर जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपनंद महराज ने कहा कि संतों के बिना ईश्वर भी असमर्थ है, बैकुंठ से ज्यादा महान मृत्युलोक है, मृत्युलोक की धरा पर संत दर्शन होगा, संत की वाणी ईश्वर की वाणी है।

उन्होंने रामकथा का सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि जब भगवान राम को अयोध्या का राजा बनाया जा रहा था, तो उन्होंने इन्कार कर दिया। उन्होंने वन-वन घूमकर संतों की चरण वंदना की। जीवन में सफलता के लिए तीन का साथ होना आवश्यक है संत, सती और सैनिक। सती भारत में ही मिलेंगी, भारत भूमि में नारी का विशेष स्थान है, मर्यादा सिर्फ भारत में देखने को मिलेगी। संत समागम में मातृ शक्ति का विशेष योगदान है। उन्होंने कहा कि ग्रंथ के जलाने से ग्रंथों की कमी नहीं होगी, यह अमर ग्रंथ हैं। इनका अस्तित्व कोई समाप्त नहीं कर सकता। उन्होंने आमजन से अपील की आपस में भाईचारा रखें, जिस घर में प्रेम होता है वहां ईश्वर का वास होता है। सनातन धर्म सम्मेलन में व्यास गद्दी से श्रवणानंद जी ने सुदामा चरित्र का सुंदर वर्णन किया, उन्होंने कहा कि जब भी हम पर संकट आये तो हमे मित्र के पास जाना चाहिए।