हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त एक अन्य भारतीय भाषा का भी ज्ञानार्जन करें

भारतीय भाषा दिवस पर एमजेएस कॉलेज में मना भारतीय भाषा उत्सव

भिण्ड, 17 दिसम्बर। शहर के शा. एमजेएस स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी विभाग की ओर से भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर ‘भारतीय भाषा उत्सव’ का आयोजन किया गया। हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति अनुराग पैदा करने, उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखने और सीखने-सिखाने की ललक पैदा करने के लिए हर साल 11 दिसंबर को भारतीय भाषा दिवस मनाया जाता है। कार्यक्रम की उसी श्रृंखला में शनिवार को एमजेएस महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से महाविद्यालय के कक्ष क्र.चार में ‘भारतीय भाषा उत्सव’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मुख्य अतिथि प्रो. आरए शर्मा (विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र) एवं अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. मालवीय विमल ने की। मुख्य वक्ताओं में प्रो. गजेन्द्र सिंह और प्रो. अनिता बंसल सम्मिलित थे। मंच संचालन प्रो. जितेन्द्र विसारिया ने सम्हाला।
प्रथम वक्ता के रूप में प्रो. जितेन्द्र विसारिया ने वैविध्य से भरे इस भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी मातृभाषा के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान रखने और सीखने के बारे में कहा कि हिन्दी यद्दपि भारत की राजभाषा है पर उसपर असली वर्चस्व अंग्रेजी का है। ऐसे में अन्य भारतीय भाषाओं का अस्तित्व खतरे में है। उन्हें हेय दृष्टि से न देखकर सम्मान की दृष्टि से देखना आवश्यक है। हमें अपने स्तर पर यह प्रयास करना ही चाहिए कि हम हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त एक अन्य भारतीय भाषा का भी ज्ञानार्जन करें।
प्रो. अनीता बहस ने कहा कि अनेकता में एकता हमारे देश की विशेषता है। हमें अपनी मातृभाषा के अतिरिक्त एक दक्षिण भारतीय भाषा भी सीखनी चाहिए, जिससे उत्तर-दक्षिण की खाई को मजबूती से पाटा जा सके। तदुपरांत विभाग के ही अन्य वक्ता प्रो. गजेन्द्र सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हिन्दी-अंग्रेजी अपने आप में व्यापक होने पर भी सर्वव्यापी नहीं हैं। हमें पर्यटन और रोजगार के लिए भी उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम की यात्राएं करनी ही पड़ती हैं। ऐसे में अन्य भारतीय भाषाओं का ज्ञान हमें तमाम चिंताओं से मुक्त करता, अपने देश वासियों के और करीब लाता है।
ततपश्चात मुख्यवक्ता प्रो. आरए शर्मा ने कहा कि भाषा की दीवार टूटती है, तो हमारे तमाम तरह के पूर्वाग्रह समाप्त होते हैं। हम अपने देश के संबंधित अंचल, वहां के नागरिक और वहां की स्थानीय संस्कृति को बेहतर तरीके से जान-समझ पाते हैं, इसलिए हमें एक अन्य भारतीय भाषा का ज्ञान अवश्य अर्जित करना चाहिए। उत्सव के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्रचार्य प्रो. मालवीय विमल ने कार्यक्रम उपादेयता पर बात रखते हुए कहा कि यह सराहनीय है कि उच्च शिक्षा विभाग मप्र शासन ने प्रदेश के समस्त महाविद्यालयों में ‘भारतीय भाषा उत्सव’ का आयोजन करवाकर कर छात्र-छात्राओं और प्राध्यापकों में अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति जिज्ञासा और जागरुकता पैदा करने का सराहनीय कार्य किया है। यह प्रयास निश्चित ही भारतीय भाषाओं के प्रति सकारात्मक प्रभाव पैदा करेगा। कार्यक्रम के अंत में आभार छात्र अंशुल हरिऔध ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के हिन्दी विभाग प्राध्यापकों के अतिरिक्त सम एनसीसी और एनएसएस इकाईयों के स्वयंसेवक छात्र-छात्रओं ने भी बड़े उत्साह के साथ भाग लिया।