भिण्ड, 18 सितम्बर। गुरद्वारा दाता बंदी छोड़ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में महान कीर्तन श्री गुरुग्रंथ साहिब की छत्रछाया में संत बाबा रामदास जी महाराज के आशीर्वाद से फतेहपुर गोहद से निकाला गया। जो ग्वालियर किला स्थित गुरुद्वारा पर समापन होगा। इस कीर्तन में गोहद विकास खण्ड के आधा सैकड़ा से अधिक गांवों के सिख समाज के महिला-पुरुष व बच्चे हजारों की संख्या में शामिल हुए। कीर्तन फतेहपुर गोहद स्थित गुरुद्वारा से आरंभ हुआ। यहां सर्वप्रथम सिख समाज द्वारा प्रसाद ग्रहण किया गया, तदुपरांत गुरु ग्रंथ साहब को विराजमान कर काफिला आरंभ हुआ ।काफिला इतना विशाल था कि उसका एक छोर गोहद चौराहा पर तथा दूसरा छोर फतेहपुर में था। यहां गुरु ग्रंथ साहब के वाहन के आगे महिलाएं सड़क पर झाडू लगाकर मार्ग को साफ करते हुए चल रही थीं। काफिले का स्टेशन रोड, गोहद चौराहा, छिमका, सर्वा, तुकड़ा, बूटीकुईया, बाराहेड़ का पेड़ा, मालनपुर होते हुए ग्वालियर किला स्थित दाताबंदी छोड़ गुरुद्वारा पहुंचेगा।
बताया जाता है मुस्लिम शासकों के कैद से 52 सिखों को संत द्वारा छुड़ाया गया था, इसलिए बंदी छोड़ नाम दिया गया। शताब्दी वर्ष के अवसर पर अमृतसर से यात्रा शुरू हुई है, जो 24 सितंबर को ग्वालियर पहुंचेगी। फतेहपुर गोहद से आरंभ कीर्तन का गोहद ग्वालियर के रास्ते में स्थान-स्थान पर स्वागत किया गया। इस यात्रा में सिख संत के साथ सरदारगण जसवीर सिंह जस्सा, अमरजीत सिंह, कुलवंत सिंह, निंदर सिंह, मलकीत सिंह, रवीन्द्र सिंह बरार, केयर सिंह, सरदूल सिंह, मनजीत सिंह, चरन सिंह, गुलजार सिंह, जस्सी सिंह, ओंकार सिंह ओलख, बलबंत सिंह, बिग्रेडियर कुलबंत सिंह आदि उपस्थित थे।