– हम सब ने ये ठाना है कुपोषण हटाना है, बच्चों को स्वस्थ्य बनाना है।
भिण्ड, 27 जुलाई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भिण्ड डॉ. जेएस यादव ने बताया है कि अभी 16 सितंबर तक संपूर्ण जिले में दस्तक अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें जिले की समस्त एएनएम, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं अन्य सदस्यों द्वारा एक टीम के रूप में सभी आंगनवाडी केन्द्रों पर शून्य से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा, जिसमें प्रमुख रूप से दस्त, एनीमिया, कुपोषण, निमोनिया, संक्रमण (सेप्सिस), जन्मजात विकृति आदि की जांच की जायेगी एवं पुष्टि होने पर उनका उपचार भी किया जाएगा।
इसी क्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भिण्ड ने जिले के सभी आमजन से अपील की है कि शून्य से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को नजदीकी आंगनबाडी केन्द्र में ले जाकर उनका स्वास्थ्य परीक्षण करवाएं। परीक्षण के बाद बच्चों में कुपोषण मिलता है तो अपने नजदीक के शासकीय अस्पताल में पोषण पुनर्वास केन्द्र ( एनआरसी) में बच्चों को लेकर डॉक्टर/ नर्सिंग स्टाफ द्वारा बच्चों की चिकित्सीय जांच करवाएं कुपोषण की पुष्टि होने के उपरांत बच्चे को एनआरसी में 14 दिनों के लिये भर्ती करवाएं, जिसमें उसकी मां भी 14 दिन तक बच्चे के साथ ही रहती है। सभी एनआरसी में इसके लिए नि:शुल्क सुविधा है और हितग्राही के कोई भी रुपए खर्च नहीं होते हैं, सभी एनआरसी सेंटर्स में भर्ती बच्चों के साथ उनकी माताओं को पौष्टिक आहार जिसमें दूध, दलिया चाय बिस्किट, फल नाश्ता और सुबह शाम पौष्टिक आहार नि:शुल्क मिलता है, इसके साथ ही 14 दिन तक भर्ती होने के उपरांत प्रति बच्चों के अनुसार 120 रुपए प्रति दिन 14 दिनों तक के लिए कुल 1680 रुपए शासन द्वारा बच्चे के माता/पिता किसी एक के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।
सभी एनआरसी में भर्ती बच्चों की एनआरसी सेंटर्स में पदस्थ स्टाफ द्वारा शासन द्वारा उपलब्ध उच्च मानकों की दवाओं एवं खान पान के विविध तरीकों द्वारा प्रत्येक बच्चे की उचित देखभाल और उपचार किया जाता है, जिसके कारण 14 दिनों बाद बच्चों का वजन भी बढता है और वो पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो जाते हैं। जिले में जिला चिकित्सालय भिण्ड, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अटेर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मेहगांव, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गोहद, सिविल अस्पताल लहार में पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) सेंटर बने हैं, जिनमें कुपोषित बच्चों को भर्ती कर कुपोषण की बीमारी को दूर किया जा सकता है।