भिण्ड, 11 जुलाई। प्रमुख पेंशनर्स एसोसिएशन पेंशनर्स की मांगों एवं समस्याओं के निराकरण के लिए लंबे अरसे से संघर्ष करता आ रहा है। लेकिन शासन उदासीन बना हुआ है। जिससे पूरे प्रदेश में पेंशनर्स में तीव्र आक्रोश एवं नाराजगी व्याप्त है। प्रमुख पेंशनर्स एसोसिएशन की जिला शाखाओं द्वारा कई वर्षों से संघर्ष किया जा रहा है, किंतु शासन अपने दोनों कान बंद करके गहरी नींद में सोया हुआ है, शासन द्वारा अभी तक पेंशनर की मांगों पर कोई पत्र भी जारी नहीं किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पेंशनर संगठन की मांगे तो जायज हैं, किंतु दिए जाने में शासन आनाकानी कर रहा है। उक्त मांगों एवं समस्याओं पर शासन के उदासीन रवैए के मद्देनजर अभी हाल ही में प्रांतीय निकाय द्वारा निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक जिला शाखाएं 22 जुलाई को राज्यपाल के नाम लंबित मांगों का ज्ञापन संबंधित जिले के राजस्व अधिकारी के माध्यम से भेजा जाए। यह जानकारी प्रांतीय महामंत्री मोहन सिंह कुशवाह, प्रांतीय संगठन सचिव विजय दैपुरिया एवं उप प्रांत अध्यक्ष वीके जाटव ने संयुक्त रूप से प्रेस को जारी वक्तव्य में दी है।
उन्होंने बताया कि पेंशनर संगठन की मुख्य मांग मप्र छत्तीसगढ़ राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 के परिशिष्ट 6, जिस आधार पर महंगाई राहत स्वीकृति के दोनों राज्य सरकारों द्वारा परस्पर सहमति की प्रक्रिया अपनाई जाती हैं, उसको समाप्त या विलोपित किया जाए। दूसरी मांग है कि एक जनवरी 2025 से लंबित महंगाई राहत दो प्रतिशत का एरियर सहित तत्काल स्वीकृत किया जाए। शेष अन्य लंबित मांगों में छठवें वेतनमान में लंबित 32 माह का एरियर एवं सातवें वेतनमान की 27 माह का एरियर तत्काल भुगतान कराया जाए, आयुष्मान योजना का लाभ 60 वर्ष की उम्र के बाद ही दिया जाए, समस्त सीनियर सिटीजन 50 प्रतिशत की छूट रेलवे किराए में पूर्वबत दी जाए, 80 वर्ष की उम्र पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त वृद्धि किए जाने का प्रावधान है इस वृद्धि को 65 आयु पर पांच प्रतिशत, 70 वर्ष पर 10 प्रतिशत, 75 पर 15 प्रतिशत एवं 80 पर 20 प्रतिशत का लाभ दिया जाए, पेंशन फोरम का गठन जिलों में किया जा करके नियमित बैठक किए जाने के आदेश प्रसारित किए जाएं।