– राकेश अचल
मैं भविष्य वक्ता नहीं हूं, लेकिन विगत के आधार पर आगत की पदचाप सुन लेता हूं। अपने इसी अनुभव के आधार पर मैं कह रहा हूं कि अव्वल तो सिंदूर अभी जाएगा नहीं और यदि खुदा न खास्ता गया भी तो उसकी जगह कोरोना आ जाएगा और आपको एक बार फिर अपने घरों में कैद कर दिया जाएगा, ताकि आप सरकार को ऊल-जलूल सवाल पूछकर परेशान न कर सकें।
दर असल ऑपरेशन सिंदूर के बाद जिस सच को सरकार देश से छिपाने की कोशिश कर रही है, वो सच छिप नहीं रहा। सरकार सवाल टालने में दक्ष है लेकिन सेना नहीं। पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, मुझे लगता है कि लडाकू विमान का गिरना महत्वपूर्ण बात नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि वे क्यों गिरे। जनरल चौहान से पूछा गया कि क्या इस महीने पाकिस्तान के साथ चार दिनों तक चले सैन्य टकराव के दौरान भारत ने लडाकू विमान गंवाए थे। अब कांग्रेस खामखां सीडीएस की स्वीकारोक्ति पर खामखां सवाल कर रही है, जबकि उसे पता है कि उसे जबाब नहीं मिलेगा।
सरकार जनता को खुला नहीं छोडना चाहती। यदि सिंदूर का रंग फीका पडा तो सरकार तमाम ज्वलंत मुद्दों पर कोविड की चादर डाल देगी, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी से इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोविड के एक्टिव केसों की संख्या 3,395 तक पहुंच गई है, जबकि पिछले 24 घण्टों में 4 लोगों की मौत हुई है। केरल में सबसे ज्यादा 1336 एक्टिव केस हैं। बीते कुछ दिनों में ही कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या में भारी वृद्धि देखने को मिली है। विशेषज्ञों ने लोगों से मास्क पहनने, भीड से बचने और जरूरत पडने पर टेस्ट कराने की अपील की है। भीडभाड से बचाव और मास्क का प्रयोग (जहां आवश्यक हो) करें।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकडों के अनुसार दिल्ली, केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। दिल्ली में 71 वर्षीय बुजुर्ग की मौत निमोनिया, सेप्टिक शॉक और एक्यूट किडनी इंजरी के कारण हुई। कर्नाटक में 63 वर्षीय मरीज, केरल में 59 वर्षीय मरीज और उत्तर प्रदेश में 23 वर्षीय युवक की मौत हुई है। बीते कुछ दिनों में ही कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या में भारी वृद्धि देखने को मिली है। 22 मई को जहां सिर्फ 257 सक्रिय मामले थे, वहीं 26 मई को यह आंकडा बढकर 1010 और अब 3395 हो गया है. बीते 24 घण्टों में 685 नए मामले दर्ज किए गए हैं।
देश में यदि कोरोना की चाल बढी तो एक बार फिर संक्रमण रोकने के लिए वे सब कदम उठाए जा सकते हैं जो आपको घरों में कैद करने के लिए काफी हैं। ये बात अलग है कि देश कोरोना के दो डोज के अलावा तीसरा बूस्टर डोज लगाए बैठा है, इसलिए कोरोना होना नहीं चाहिए। लेकिन यदि सिंदूर की तरह कोरोना सियासत का मददगार बन सकता है तो कौन उससे परहेज करेगा?
आपको पता है कि जैसे सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद अचानक सीजफायर का ऐलान किया था, उसी तरह लोकनिंदा के बाद अचानक सियासी सिंदूर खेला पर भी विराम लगा दिया है। भाजपा ने खण्डन किया है कि पार्टी 9 जून से घर घर सिंदूर बांटने नहीं जा रही है। हालांकि भाजपा और प्रधानमंत्री जी का सिंदूर मोह कम नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री की भोपाल रैली में भी राज्य सरकार ने अग्र पंक्ति में 30 हजार आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को सिंदूरी साडियां पहना ही दीं। खुद प्रधानमंत्री महिला सशक्तिकरण सम्मेलन में ‘गोली और गोला’ की भाषा का इस्तेमाल किए बिना रह नहीं सके।
मेरा अनुमान है कि भाजपा के सिंदूर खेला में कोई फौरी क्षेपक अवश्य आ सकता है, लेकिन अगले एक साल तक सिंदूर किसी न किसी रूप में भारतीय राजनीति का हिस्सा बना रहेगा। बिना सिंदूर वापरे भाजपा भविष्य की सियासी चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर सकती। जब तक सिंदूर भाजपा नेताओं की पेशानी पर चमकता रहेगा, तब तक भाजपा का सुहाग कांग्रेस या इंडिया गठबंधन उजाड नहीं सकता।