बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था परा द्वारा संचालित उमूदू की जमा प्रतिभूति राशि राजसात

– भविष्य में पुन: इस तरह की अनियमितताओं की पुनरावृत्ति नहीं होने किया सचेत

भिण्ड, 26 अप्रैल। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अटेर अंकुर रवि गुप्ता द्वारा बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था परा द्वारा संचालित शा. उचित मूल्य की दुकान की जमा प्रतिभूति राशि पांच हजार रुपए शासन हित में राजसात की गई है।
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अटेर अंकुर रवि गुप्ता ने आदेशित कर कहा है कि गत 18 एवं 20 फरवरी को सत्यपाल सिंह जादौन कनिष्ट आपूर्ति अधिकारी अटेर द्वारा बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था परा द्वारा संचालित शा. उचित मूल्य की दुकान परा कोड (0101022) के अंत्योदय कार्डधारियों की जांच कर 21 फरवरी को पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसमें धर्मेन्द्र पुत्र बडेलाल को माह फरवरी में विक्रेता द्वारा गेहूं, चावल, नमक, शक्कर पात्रतानुसार प्राप्त हुई है तथा इससे पूर्व माह में शक्कर के बदले दो किलो गेहूं विक्रेता द्वारा प्रदान किया गया है। मानसिंह पुत्र बडेलाल को माह फरवरी में विक्रेता द्वारा गेहूं, चावल, नमक, शक्कर पात्रतानुसार प्राप्त हुई है तथा पूर्व माह में शक्कर प्राप्त नहीं हुई है। सर्वेश यादव द्वारा दुकान से संलग्न 5753 सदस्यों में से 2380 सदस्यों की ई-केवाईसी दर्ज की गई है, जोकि मात्र 41.37 प्रतिशत है। जो संतोषजनक स्थिति नहीं है। इस प्रकार सर्वेश यादव द्वारा किया गया उक्त कृत्य गंभीर अनियमितताएं होने से मप्र सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 की कण्डिका 11(1), 13(2) एवं 18 तथा प्राधिकार पत्र की शर्त क्र.9, 10 व 29 का स्पष्ट उल्लंघन होकर आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत दण्डनीय अपराध होने से कार्यालय द्वारा विक्रेता को कार्यालयीन पत्र 21 फरवरी 2025 द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर तीन दिवस में जवाव चाहा गया था, विक्रेता सर्वेश यादव द्वारा 28 जनवरी को कारण बताओ सूचना पत्र का जबाव प्रस्तुत किया गया है, जो कि संतोषजनक नहीं पाया गया है।
अत: मप्र सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 की कण्डिका 16(1) के तहत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुये बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था परा द्वारा संचालित शा. उचित मूल्य की दुकान पर कोड (0101022) की जमा प्रतिभूति राशि पांच हजार रुपए शासन हित में राजसात करते हुए भविष्य के लिए सचेत कर कहा कि पुन: इस तरह की अनियमितताओं की पुनरावृत्ति न की जाए। राजसात प्रतिभूति राशि पांच हजार रुपए चालान द्वारा जमा खजाना होने पर प्रकरण दाखिल रिकार्ड हो।