@ राकेश अचल
मैं प्रीतीश नंदी से कभी नहीं मिला, लेकिन ऐसा लगता है कि उनसे कोई अपरिचय है ही नहीं। भागलपुर के प्रीतीश नंदी की उम्र कोई ज्यादा नहीं थी, मुझसे 9 साल ही बड़े थे वे, लेकिन फिल्म और मीडिया के क्षेत्र में उनका योगदान और उपलब्धियां अनंत थीं, इसलिए उन्हें लम्बे समय तक याद किया जाएग। उनके तमाम किस्से हैं।
नंदी के बारे में कहा जाता है कि वे ‘यारों के यार’ थे। यारों के यार प्रीतीश का जन्म बिहार के भागलपुर में हुआ था। नंदी बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। उनको कला और लेखन के प्रति गहरी रुचि थी। नंदी एक कुशल कवि और बेहतरीन चित्रकार भी थे। उन्होंने बॉलीवुड में कई चर्चित और यादगार फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें “कुछ खट्टी कुछ मीठी”, “झनकार बीट्स”, “सुर”, “कांटे”, “चमेली”, “हजारों ख्वाहिशें ऐसी”, “आंखें”, “जस्ट मैरीड”, “मस्तीजादे”, “मुंबई मैटिनी”, “पॉपकॉर्न खाओ! मस्त हो जाओ”, “शब्द”, “एक खिलाड़ी एक हसीना”, “अनकही”, “प्यार के साइड इफेक्ट्स”, “बो बैरक फॉरएवर”, “अग्ली और पगली”, “मीराबाई नॉट आउट”, “धीमे धीमे”, “रात गई बात गई?”, “क्लिक करें”, “मोटा”, “शादी के साइड इफेक्ट्स” जैसी फिल्मों के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा।
जहां तक मुझे याद है कि नंदी साहब केवल कलाकार ही नहीं थे बल्कि उनकी अपनी विचारधार थी और इसी कि वजह से वे शिवसेना के साथ थे। वह शिवसेना के टिकट पर महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद भी रहे। जब देश में स्वतंत्रता संग्राम के 50 साल पूरे हो रहे थे, उस समय वह 50 साल पूरे होने पर मनाए जाने वाले जश्न के लिए बनाई गई कई महत्वपूर्ण समितियों का हिस्सा भी थे। उन्होंने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के उन्नयन के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता भी की थी।
मुझे नंदी साहब का शो “द प्रीतीश नंदी शो” हमेशा याद रहता है। बात शायद 1993 की है, प्रीतीश नंदी ने अपनी कंपनी “प्रीतीश नंदी कम्युनिकेशंस” की स्थापना की थी और इसके गैर-कार्यकारी अध्यक्ष और क्रिएटिव संरक्षक बने रहे| “द प्रीतीश नंदी शो” दूरदर्शन पर प्रसारित होता था। यह भारतीय टेलीविजन पर प्रसारित होने वाला पहला सिग्नेचर चैट शो था. इसके बाद, जी टीवी पर “फिस्कल फिटनेस: द प्रीतीश नंदी बिजनेस शो” प्रसारित हुआ, जो भारत का पहला साप्ताहिक बिजनेस शो था। ऐसे विशिष्ट कलाकार को मेरी विनम्र श्रृद्धांजलि|