जो भगवान का स्मरण करते हैं वे ही कल्याण के पात्र होते हैं : तिवारी

भागवत कथा में इन्द्र के क्रोध से ठाकुरजी ने ब्रजवासियों को बचाया, उठाया गिरिराज पर्वत

भिण्ड, 24 सितम्बर। गणेश महोत्सव के दौरान शहर के पुरानी गल्लामण्डी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस वृंदावन से पधारे आचार्य प्रशांत तिवारी ने बताया कि ब्रजवासियों की सहायता के लिए और इन्द्र का अभिमान गिराने के लिए प्रभु ने गिरिराज पर्वत उठाया, गोवर्धन नाथ ठाकुरजी का ही स्वरूप हैं, इनकी परिक्रमा करने से संपूर्ण मनोरथ सिद्ध होते हैं। आईने की कीमत भले ही हीरे से लाख गुना कम हो पर इतना तय है हीरा पहनने के बाद लोग आईना ही ढूंढते हैं। इसी प्रकार से भगवान के भक्त धन संपदा से विमुख होते हुए भी अनमोल रत्न के समान होते हैं। कर्म पर विश्वास रखो और ईश्वर पर आस्था, कितना भी मुश्किल समय हो, रास्ता अवश्य निकलेगा। इसलिए कठिन परिस्थिति में भी भरोसा रखो।
आचार्य ने भक्तों को समझाते हुए बताया कि स्वाद और विवाद दोनों ही छोड दो, अगर स्वाद छोडा तो तन को फायदा और विवाद छोडा तो संबंधों को फायदा। ममत्व को छोड कर प्रेम करना सीखे, सच्चे अर्थों में जीव मात्र का रास्ता भक्ति मार्ग ही है, इसलिए व्यर्थ समय न गवाते हुए धर्म के प्रति कृतज्ञ हो नाम संकीर्तन का आश्रय अवश्य ग्रहण करें। कथा में जारी धाम से पधारे शिवचैतन्य महाराज का परीक्षित शकुंतला-डॉ. महेश मुदगल ने अतिथि स्वागत किया। इस अवसर पर व्यास पीठ की आरती करने वालों में कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष मनोज दैपुरिया, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामकिशोर भारद्वाज, भाजपा नेता अर्पित मुदगल, अनिल बोहरे, बल्लू भदौरिया, गुड्डू भदौरिया मसूरी, मनोज पुरहेत बगुलरी प्रमुख हैं।