ग्वालियर, 28 जुलाई। अष्टम एएसजे ग्वालियर सुशील कुमार जोशी के न्यायालय में विचाराधीन जघन्य श्रेणी के विशेष प्रकरण क्र.254/21 में हत्या के आरोपी मुनब्बर खां को धारा 302 भादंवि में आजीवन कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 324 भादंसं में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है।
अभियोजन की ओर से प्रकरण की पैरवी कर रहे जिला अभियोजन अधिकारी प्रवीण दीक्षित ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी मकसूद खां तथा उसका मित्र मृतक इरशाद खां उर्फ गोलू ने अभियुक्त मुनब्बर खां की पुत्री टीना को प्लॉट विक्रय करने की चर्चा की थी और इस संबंध में टीना ने मृतक इरशाद तथा फरियादी मकसूद खां को पांच हजार रुपए एडवांस दिए थे। तत्पश्चात उक्त प्लॉट शासकीय भूमि पर होने के कारण सौदा निरस्त हुआ था, जिस पर अभियुक्त मुनब्बर खां ने पांच हजार रुपए वापस प्रदान किए जाने की मांग की थी और इस बात को लेकर अभियुक्त मुनब्बर खां तथा मृतक एवं आहत के मध्य विवाद हुआ था। 12 दिसंबर 2020 को मृतक इरशाद खां उर्फ गोलू तथा फरियादी मकसूद खां मोटर साइकिल से उक्त राशि वापस लौटने हेतु कुम्हरपुरा थाटीपुर स्थित कल्लू खां दरगाह के पास अभियुक्त मुनब्बर खां के घर के पास पहुंचे। उस समय अभियुक्त मुनब्बर द्वारा लोहे की धारदार गुप्ती से इरशाद खां उर्फ गोलू पर जान से मारने की नीयत से सीने पर दाई ओर चोट पहुंचाई। फरियादी मकसूद खां बचाने गया तो अभियुक्त मुनब्बर खां ने फरियादी मकसूद खां को जान से मारने की नीयत से गुप्ती मारी, जो मकसूद खां की गर्दन के नीचे सीने के ऊपर तथा दाई हाथ के पंजे पर लगी। घटना पन्नू खां, मोहम्मद हुसैन तथा सावरा ने देखी। पन्नू खां ने देखा कि अभियुक्त मुनब्बर गुप्ती अपने घर में रखकर भाग गया। मृतक इरशाद खां को घायल अवस्था में शा. चिकित्सालय मुरार ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने परीक्षण कर इरशाद खां को मृत घोषित कर दिया और मकसूद खां का उपचार प्रारंभ किया गया। डॉ. व्हीके दौनेरिया ने आहत मकसूद खां का मैडीकल परीक्षण कर मेडीकल रिपोर्ट तथा मृतक की इरशाद खां की आकस्मिक मृत्यु के संबंध में सूचना दी। इरशाद खां की मृत्यु के संबंध में मकसूद की सूचना पर आरक्षी केन्द्र थाटीपुर में अपराध क्र.714/20 धारा 302, 307 भादसं के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को आजीवन कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।