सिद्धचक्र विधान में समर्पित किए 512 महाअघ्र्य, मन्दिर में गूंजे जयकारें

ग्वालियर, 16 मार्च। अष्टनिका पर्व के सातवें दिन शिंदे की छावनी स्थित श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मन्दिर में चल रहे श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान में बुधवार को जैन श्रृद्धालुओं द्वारा मांडने पर 512 अघ्र्य समर्पित किए गए। रात्रि मंगल दीपों से महाआरती की गई।


विधानाचार्य पं. चंद्रप्रकाश जैन चंदर के निर्देशन में पीले वस्त्रधारी सौधर्म इन्द्रा, कुबेर, महा यज्ञनायक सहित इन्द्रगणों ने भगवान जिनेन्द्र की प्रतिमा का भक्तिभाव से जलाभिषेक किया। वहीं भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य सुखानंद, दिनेश जैन, रविन्द्र जैन परिवार को प्राप्त हुआ। विधान में नित्य नियम पूजन में देव शास्त्र गुरु समुच्चय पूजन, नंदीश्वर पूजन किया गया। संगीतकार शुभम जैन सेमी म्यूजिकल ग्रुप द्वारा विधान के मध्य सुंदर भजन प्रस्तुत किए गए। श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के पूजन में सिद्ध भगवान की सौधर्म इन्द्र द्वारा पूजा की गई और मांडने पर 512 अघ्र्य समर्पित किए गए

पति के साथ पूरे गांव का कुष्ठ रोग ठीक हो गया : चंदर

विधानचार्य चंद्र प्रकाश जैन चंदर ने धर्मसभा में कहा कि हजारों साल पहले मैना सुंदरी नामक महिला ने पहली बार सिद्धचक्र महामण्डल विधान किया था और इसे करने से उसके पति के साथ-साथ सारे गांव का कुष्ठ रोग ठीक हो गया था। इसलिए सदैव पवित्र एवं पूरी श्रृद्धा के साथ अनुष्ठान या विधान का फल लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है।

समापन पर विश्वशांति महायज्ञ व शोभायात्रा निकालेगी आज

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि प्रतिष्ठाचार्य पं. चंद्रप्रकाश जैन (चंदर) के मार्गदर्शन में सिद्धचक्र महामण्डल विधान महोत्सव का समापन 17 मार्च को सुबह सात बजे श्रीजी के अभिषेक व पूजन व विश्व शांति महायज्ञ के उपरांत भगवान जिनेन्द्र की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी।