श्रेष्ठ मनुष्य दूसरों का आदर करते हैं : राकेश रामायणी

-दूसरे की संम्पत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है : देवी योगेश्वरी

भिण्ड, 06 अक्टूबर। लहार क्षेत्र के ग्राम बरहा में सिद्ध बाबा महाराज के दरबार में पहलवान उपाध्याय दाऊ परिवार द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के समापन पर सोमवार को लहार विधायक के अनुज अखिलेश उर्फ बंटू शर्मा, मंडल अध्यक्ष भाजपा सुभाष अग्निहोत्री ने व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया।
कथा वाचक मानस शिरोमणि देवी योगेश्वरी ने राम-रावण युद्ध, लंका दहन, विभीषण का राज्याभिषेक सहित राम के राज तिलक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि दूसरों की सम्पत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो, उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद श्रीराम जब वापस पहुंचे तो अयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए, उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया, उसी प्रकार से हर राम भक्त का दायित्व है कि धर्म के अच्छे एवं पुनीत कार्यों में अपना सहयोग प्रदान करे। श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान पूरे पंडाल में भक्तों के द्वारा पुष्पों की वर्षा की गई।
कथा के दौरान राकेश रामायणी ने अपने व्याख्यान में कहा कि भगवान श्रीराम चार नहीं पांच भाई थे इनके पांचवे भाई हनुमान हैं। हनुमान जी का जन्म दिव्य और कर्म भी दिव्य है। यहीं से हनुमन्त चरित्र आरम्भ होता है। ब्राम्ह्मण भेष धरते हुए भी उन्होंने भगवान रामचन्द्र को प्रणाम किया। सच्चा ब्राह्मण वही है जो पूरी दुनिया को प्रणाम करता है। उन्होंने भगवान बुद्ध की कहानी सुनाते हुए कहा कि कणिका नाम की नगर वधु के यहां भिक्षा लेने के लिए गए, उसने भिक्षा से इंकार कर दिया। तब भगवान बुद्ध ने कहा कि अभी तुम्हें मेरी जरूरत नहीं है, अभी तो करोड़पति लोग आपको घेरे बैठे हैं, जब सब तुझे छोड़ दें तब मेरे पास आना। इस मौके पर पुराण की आरती कथा यजमान गायत्री बृजकिशोर उपाध्याय कक्का एवं पुष्पा रामकुमार उपाध्याय ने की उसके पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। हारमोनियम वादन हरिबल्लभ शास्त्री उर्फ बच्चन डंगरोलिया ने तथा तबला वादन मनोज पुजारी ने किया।