गुरू कृपा और प्रभु कृपा होने से सभी कष्ट दूर भाग जाते हैं : विहसंत सागर

-सरस्वती महाअर्चना में श्रुतस्कंद विधान में 81 अर्घों से हुई पूजा

भिण्ड, 05 अक्टूबर। मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में रविवार को सुबह 11 बजे निराला रंग विहार में भगवान का महामस्तकाभिषेक शांतिधारा पश्चात सरस्वती महाअर्चना श्रुतस्कन्ध विधान विधानाचार्य डॉ. अभिषेक जैन डॉ.आशीष जैन ने विधि विधान 81 अर्ग को चढ़वाया।
इस अवसर पर विहसंत सागर महाराज ने कहा कि जेनागम में तीर्थंकर ही पुराण पुरुषोत्तम कहलाते हैं। जैन धर्म के आद्य प्रवर्तक प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव कहलाए, जिनका वर्णन वेद पुराणों तथा श्रीमद्भागवत गीता में बातरसना ब्रात्य आहर्त आदि नाम उल्लेख किया है। संसार में असि, मषी, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प आदि षट्कर्म का उपदेश देकर संपूर्ण अजनाथ वर्ष पर उपकार किया था अंतिम तीर्थंकर वर्धमान महावीर स्वामी तक ज्ञान की अजस्र परंपरा श्रुति रूप से प्रभावित होती रही। मनुष्य जीवन के यापन में व्यक्तित्व निर्माण में विद्या का होना आवश्यक है। यह विद्या सरस्वती की आराधना से सहजता से प्राप्त की जा सकती है पुरुष को 72 कलाएं और स्त्रियों को 64 कलाएं विद्या की देवी सरस्वती की महिती कृपा और पूर्वजीठ कर्मों के कारण प्राप्त होती है।

मुनिराज में कहा कि यह सरस्वती जी की प्रतिमा वर्ष 2020 में इटावा चातुर्मास के दौरान आसई ग्राम में लगभग प्राचीन तीन हजार जिनबिम्बों की खंडित पड़ी थीं, जिनका उद्धार कराया तथा शरद पूर्णिमा के दिन मेरे पैर से एक पत्थर टकराया तो उसे उठाकर देखा तो 1200 वर्ष प्राचीन जिन सरस्वती मां की अनुपम प्रतिमा निकली, तब से वह प्रतिमा मेरे पास ही है यह सरस्वती की कृपा का ही दैवीय संकेत है तब से मन में जिन सरस्वती मा अर्चना करने और कराने के प्रति एक सुद्रढ़ भाव पल्लवित हो गया, जो आज नगर में 42वीं सरस्वती महाअर्चना का आयोजन धूमधाम के साथ संपन्न हुआ है। इस अवसर पर विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह, प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल, कांग्रेस जिला अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया पिंकी, सेवादल अध्यक्ष संदीप मिश्रा, अशोक काका, मुकेश जैन बड़ेरी, पवन जैन, चक्रेश जैन, नरेश जैन, अंकित जैन, पार्षद मनोज जैन, कमलेश जैन तंत्री, जगदीश जैन दादा, राजेंद्र जैन बिल्लू एवं महिला पुरुष बच्चे आदि उपस्थित थे।