– कलेक्टर ने जारी किया आदेश, छोटे आकार की प्रतिमाएं बनाने का भी उल्लेख
– राष्ट्रीय हरित अधिकरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का पालन कराने के लिये जारी हुआ है यह आदेश
ग्वालियर, 21 अगस्त। त्यौहारों के दौरान मूर्तियों एवं प्रतिमाओं के संबंध में राष्ट्रीय हरित अधिकरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित गाइड लाइन का दृढता पूर्वक पालन कराने के लिए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रुचिका चौहान द्वारा अहम आदेश पारित किया गया है। उन्होंने आदेश में स्पष्ट किया है कि प्रतिमाओं के निर्माण में केवल उन्हीं प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग किया जाए, जो पवित्र ग्रंथों में उल्लेखित हैं। उन्होंने आदेश में स्पष्ट किया है कि जिले में केवल परंपरागत मिट्टी से निर्मित प्रतिमाओं का ही उत्पादन व विक्रय किया जाए। परंपरागत मिट्टी को छोडकर अन्य पदार्थ जैसे पकी हुई मिट्टी, पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) व अन्य रासायनिक पदार्थों से बनाई जाने वाली प्रतिमाओं का निर्माण एवं विकय नहीं किया जाए। साथ ही ऐसी मूर्तियों को किसी अन्य जिले से लाना-लेजाना (परिवहन) तथा विकय नहीं किया जाए।
जिला दण्डाधिकारी रुचिका चौहान ने आदेश में उल्लेख किया है कि धार्मिक आयोजन स्थलों पर मूर्तियों की स्थापना एवं विसर्जन के लिए लाने-ले-जाने के दौरान बडे आकार की मूर्तियों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने तथा कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होती है। इसलिए मूर्तियों का आकार छोटा रखा जाए। मूर्तियों व प्रतिमाओं पर कलर एवं सजावट के लिए केवल प्राकृतिक रंगों व गैर विषाक्त रंगों का इस्तेमाल किया जाए। किसी प्रकार के हानिकारक व विषाक्त रंगों का इस्तेमाल नहीं किया जाए।
परंपरागत मिट्टी को छोडकर अन्य पदार्थ जैसे पीओपी व अन्य रासयनिक पदार्थों से प्रतिमाओं के निर्माण का मामला प्रकाश में आता है, तो तत्काल स्थानीय निकाय द्वारा इन निर्मित प्रतिमाओं का निपटान नगरीय ठोस अपशिष्ठ नियम-2000 के प्रावधानों के अनुरूप किया जाए। पूजन सामग्री जैसे फल-फूल, नारियल, वस्त्र-आभूषण, सजावट के सामान जिनमें कागज, प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएं शामिल हैं, तो इन्हें प्रतिमाओं विर्सजन के पूर्व निकाल कर अलग-अलग एकत्रित किया जाए। साथ ही उक्त एकत्रित सामग्री का निपटान नगरीय अपशिष्ट नियम 2000 के प्रावधानों के परिपेक्ष्य में स्थानीय निकायों द्वारा किया जाए।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि संबंधित निकाय अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत सीपीसीबी की गाइड लाइन अनुसार मूर्तियों के विसर्जन हेतु पृथक से स्थान चयनित करें। साथ ही आयोजकों को सूचित करें, जिससे पेयजल आपूर्ति क्षेत्र या अन्य महत्वपूर्ण स्थलों में बने जलाशय आदि में मूर्तियों का विसर्जन न हो। प्रतिमाओं के विर्सजन के 24 घण्टे के भीतर विसर्जित मूर्ति व प्रतिमाओं से उत्पन्न ठोस अवशेष जैसे बांस, रस्सी, मिट्टी, पीओपी प्रतिमा के हिस्से आदि को एकत्रित कर उनका निपटान ठोस अपशिष्ठ नियम 2000 के प्रावधानों के परिपेक्ष्य में स्थानीय निकायों द्वारा किया जाए। प्रतिबंधों के होते हुए भी विशेष परिस्थितियों में जिला प्रशासन द्वारा उपरोक्त के संबंध में छूट व शिथिलता संबंधी निर्णय प्रकरण विशेष में लिया जा सकेगा। जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी इस आदेश के उल्लंघन पर संबंधित के खिलाफ विधि अनुसार वैधानिक कार्रवाई की जा सकेगी।