– जिला पंचायत की सभागार में साधारण सभा की बैठक आयोजित
भिण्ड, 25 जुलाई। जिला पंचायत की साधारण सभा की बैठक शुक्रवार को जिला पंचायत सभागार में आयोजित की गई। जिसमें नलजल योजना के तहत हुए कामों की हकीकत सामने आई। जिला पंचायत अध्यक्ष कामना सिंह, उपाध्यक्ष नंदराम बघेल, विधायक प्रतिनिधि अरविंद बघेल और जिला पंचायत सदस्य गुड्डन-शशिकांत भारद्वाज समेत अन्य सदस्यों ने पीएचई विभाग के अधिकारियों को आडे हाथों लिया। बैठक स्पष्ट कहा कि फाइलों में पूरा बताया गया काम वास्तव में जमीनी हकीकत में आधा-अधूरा है।
बैठक के दौरान अध्यक्ष कामना सिंह भदौरिया ने पीएचई के उपयंत्री केएन शर्मा से सवाल किया कि आपको अपने ही विभाग की जानकारी नहीं, फिर आमजन को क्या लाभ देंगे। कई गांवों में नलजल योजना का काम कागजों में पूरा बताया गया, लेकिन हकीकत ये है कि घरों तक पानी पहुंचा ही नहीं। उन्होंने कहा कि अब हर कार्य की निगरानी जनप्रतिनिधियों की टीम करेगी और यदि गडबडी पाई गई तो ठेकेदारों और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। ठेकेदारों का भुगतान हो गया है जबकि मोटर जली, पाइप अधूरी, ट्रांसफार्मर भी गायब। यह स्थिति जिपं अध्यक्ष कामना सिंह ने ऊमरी, परा, मितावली सहित दर्जनों गांवों का जिक्र करते हुए बताई। उन्होंने कहा कि कहीं मोटर खराब है, कहीं पाइप लाइन ही नहीं बिछी और कहीं ट्रांसफार्मर तक नहीं लगा। फिर भी ठेकेदारों को भुगतान कैसे कर दिया गया।
जिला पंचायत सदस्य गुड्डन शशिकांत भारद्वाज कहा कि नल जल योजना के तहत जहां सडकें खुदी हैं, वहां मेंटिनेंस नहीं किया, जबकि भुगतान पूरा हो गया है। ये बडा भ्रष्टाचार है। ये पूरा मामला मछण्ड, रायपुरा जैतपुरा, नौंधा, बनगड, चांदौख, सुरधान, मूरतपुरा क्षेत्र में देखा जा सकता है। इसकी जांच कराई जाए। वहीं विधायक प्रतिनिधि अरविन्द बघेल ने स्पष्ट कहा कि यह सीधी-सीधी भ्रष्टाचार की बानगी है और पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। इस पर जिला पंचायत सीईओ सुनील दुबे ने कहा कि जिन अधिकारियों की उपस्थिति बैठक में नहीं रही, उनकी सूची बनाकर कलेक्टर और शासन को भेजी जाएगी।
बैठक में सीएमएचओ डॉ. जेएस यादव से भी अध्यक्ष ने स्पष्ट निर्देश दिए कि स्वास्थ्य शिविरों की पूर्व सूचना जनप्रतिनिधियों को दी जाए, ताकि वे स्वयं अपनी निगरानी में शिविर का आयोजन कर सकें। टीबी मरीजों के लिए ‘निक्षय मित्र योजना’ का उल्लेख करते हुए सीएमएचओ ने अपील की कि प्रत्येक जिला पंचायत सदस्य कम से कम एक मरीज को छह माह तक फूड बास्केट देने की जिम्मेदारी लें।
जर्जर स्कूलों और अधूरी बिल्डिंगों पर भी उठे सवाल
बैठक में शिक्षा विभाग पर भी सवालों की बौछार हुई। जिपं सदस्यों ने बताया कि कई स्कूलों की इमारत 6-6 साल से अधूरी हैं। बिजपुरी स्कूल में 22 लाख खर्च हो चुके हैं लेकिन प्लास्टर तक नहीं हुआ। इस पर सीईओ दुबे ने अधूरे कार्यों की सूची बनाने के निर्देश दिए और कहा कि शिक्षा विभाग तत्काल स्थिति स्पष्ट करें। जिला पंचायत की बैठक में साफ दिखा कि जनप्रतिनिधियों का अधिकारियों से भरोसा टूट चुका है। योजनाएं कागजों में पूरी और जमीन पर अधूरी हैं।