गीता भवन में हुआ गीता स्वाध्याय का आयोजन

भिण्ड, 08 जुलाई। घर-घर गीता का प्रचार हो अभियान के अंतर्गत गीता रामायण भवन में गीता स्वाध्याय का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम भगवान विष्णु की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ।
स्वाध्याय पत्र का वाचन विष्णु कुमार शर्मा द्वारा किया गया। गीता के मुख्य वक्ता रघुराज दैपुरिया ने कर्म सन्यास संज्ञा के चौथे अध्याय के 33वें श्लोक में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि द्रव्य के यज्ञ से ज्ञान यज्ञ श्रेष्ठ है। अंत में सभी कर्मों का लय ज्ञान यज्ञ में हो जाता है। ब्रह्मदेव के बताए हुए यज्ञों में कुछ न कुछ द्रव्य लगता है क्योंकि वह सब क्षर रूप है। प्राणायाम प्राया (यह प्रकृति का सूक्ष्म द्रव्य है) परंतु भगवान श्री कृष्ण के अनुसार अद्रव्य मय ज्ञान यज्ञ श्रेयस्कर है।
गीता के 34वें श्लोक में भगवान यही बताते हैं क्योंकि आत्मदर्शी विज्ञान से जो आत्म अनुभव प्राप्त होता है इसका सेवन करना लक्ष्य है। 35वें श्लोक में भगवान यही लक्ष्य कराते हैं कि हे अर्जुन सब आत्म रूप है भूत संज्ञा कोई अन्य वस्तु है ही नहीं। 36 में शोक में स्पष्ट किया गया है कि पापियों को भी ज्ञान देना उचित है। तत्वदर्शी से विज्ञान प्राप्त कर यदि परमात्मा दर्शन हो गया तो मानवी प्राणी सर्व बंध विनिर्मूक्ता होता है। जैसे चिता हुआ अग्नि कैसन को भस्म कर देता है वैसे ही ज्ञान अग्नि सारे कर्मों को भस्म कर देता है इस लोक में विज्ञान बिना और दूसरा पवित्र नहीं है। अंत में मां गीता की आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
विश्व गीता प्रतिष्ठानम के मीडिया प्रभारी शैलेश सक्सेना ने बताया कि विगत 6 महीने से भी अधिक समय से जिले में गीता के प्रचार हेतु जन अभियान चलाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य जनमानस को गीता के प्रति जागरूक करना है। विश्व गीता प्रतिष्ठानम के जिला संयोजक विष्णु कुमार शर्मा द्वारा उपस्थित लोगों से घर पर गीता का पाठ करने का निवेदन किया गया। इस अवसर पर गीता भवन के पूर्व अध्यक्ष एवं ट्रस्टी गोपाल सोनी, महेन्द्र बाबू तिवारी, राजेन्द्र सिंह भदौरिया, केपी कटारे, धर्मसिंह भदौरिया, मुलायम सिंह चौहान, दुर्गादत्त शर्मा, आनंद त्रिपाठी, अंकित बंसल, श्याम मोहन श्रीवास्तव, शैलेश सक्सेना, मन्दिर के पुजारी सहित कई महिला एवं पुरुष मौजूद रहे।