-ग्राम कैथा में चल रही नौ दिवसीय रामकथा में हो रहे प्रवचन
भिण्ड, 05 मई। राज राजेश्वरी मन्दिर पर कैथा में आयोजित की जा रही नौ दिवसीय रामकथा के छटवें दिन कथाव्यास धनवंतरी दास महाराज ने राम कथा के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि विश्वास, श्रद्धा और भक्ति से ही ईश्वर प्राप्ति संभव है। मां दुर्गे की आराधना मातृशक्ति की आराधना है, मां दुर्गा चारों वर्णों की मां है। माता की शेर की सवारी का अर्थ है कि हिंसक प्रवृतियों पर सवारी और उसका दमन करना। कथा व्यास ने कहा कि विद्या के साथ विवेक की भी आवश्यकता होती है, क्योंकि बिना विवेक के धन भी विनाशकारी होता है। वहीं भक्ति के लिए श्रद्धा और विश्वास दोनों का होना अति आवश्यक है।
धनवंतरी दास महाराज ने कहा कि मानव जीवन भोग के लिए नहीं बल्कि योग के लिए है। मानव जीवन में विपत्तियों का सामना दृढता पूर्वक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसार में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है, जिसे जीवन में कभी मुसीबतों का या विपत्तियों का सामना न करना पडा हो। दुख और सुख का चक्र दिन और रात के कालचक्र के समान सदा घूमता ही रहता है। जैसे दिन के बाद रात्रि का आना निश्चित है वैसे ही दु:ख के बाद सुख का आना भी अनिवार्य है। जैसे स्वर्ण अग्नि में तपकर अधिक सतेज बनता हैं, वैसे ही धैर्यवान मनुष्य विपत्तियों का साहस के साथ सामना करते हुए जीवन संग्राम में विजय प्राप्त करता है।
राम कथा में पहुंचे भुमिया धाम के महंत हरिओम दास ने कहा कि प्रभु राम के जीवन की कथा सुनने मात्र से मानव जीवन के यहां तक कि पूर्व जन्म के भी पाप धुल जाते हैं, रामकथा सुनने से मन शुद्ध होता है और पाप दूर होते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को रामकथा सुनना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। हरिओम दास ने कहा कि प्रभु श्रीराम मर्यादित होने के कारण ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं, हम सबको उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिए।