मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर में हुआ गीता स्वाध्याय का आयोजन

भिण्ड, 05 मई। मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर पर गीता स्वाध्याय का आयोजन किया गया। विश्व गीता प्रतिष्ठानम् के जिला प्रभारी विष्णु कुमार शर्मा द्वारा सुभाषित एवं स्वाध्याय पत्र का वाचन किया गया। उन्होंने नियमित गीता पढने एवं गीता के अनुसार आचरण करने पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक संख्या में गीता के कार्यक्रमों से जुडने का आग्रह किया।
मुख्य वक्ता रघुराज दैपुरिया ने श्रीमद् भागवत गीता के अध्याय 3 के श्लोक नं.35 में स्वधर्म व परधर्म के बारे में रामचरित मानस एवं विष्णु पुराण व शास्त्र सम्मत प्रमाण सहित और धर्म की औप धर्म की मीमांसा की और यह बताया कि तुम गहो विश्व जन सत सुख का सोता है। ईश्वरीय धर्म विश्व रूप होता है उसमें ना हिन्दू, जैन, सिख, पारसी, इस्लामी नहीं, ईश्वरीय धर्म जो सब ने धारण कर रखा है। भगवान कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि तू अपने क्षत्रिय धर्म का पालन कर, स्वधर्म का पालन करने से यदि मृत्यु भी हो जाए तो वह श्रेष्ठ है। अपने वर्ण कर्म को छोडकर अन्य किसी वर्ण के आचरण से मृत्यु भयानक है क्योंकि उससे वर्ण शंकरता आती है।
उन्होंने बताया कि अपने का त्याग करना ही धर्म ग्लानि है। वहीं मानवता में भूल होने से धर्म का उपदेश देने अवतार आया करते हैं जो पुरुष में सारी मानवता को जागृति देते हैं, यही अवतार की विशेषता है। अवतार के कालमान के बाद जनमानस अवतार समझ पाते हैं, इसकी श्रीमद् भागवत गीता सनद है। उसी का संत जन बादल रूप से प्रचार प्रसार करते हैं तब मानवता जागृत होती है। कार्यक्रम के अंत में मां गीता की आरती के बाद प्रसाद वितरण के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।
इस अवसर पर भानु श्रीवास्तव, बीएस भारद्वाज, महेन्द्र सोनी, मुलायम सिंह चौहान, केपी कटारे, धर्मसिंह भदौरिया, राजेन्द्र सिंह भदौरिया, महेन्द्र बाबू तिवारी, दुर्गादत्त शर्मा, अमित चौधरी, बलदेव शर्मा, अमित शर्मा सौबी, रामसुरेश शर्मा, धर्मसिंह तोमर, श्यामबाबू पुरोहित, अंकित बंसल, शैलेश सक्सेना, मंशापूर्ण मन्दिर के पुजारी कृष्णा पंडित, संगीता शर्मा, आशा शर्मा, अरुण भदौरिया आदि उपस्थित रहे।