धरती के स्वर्ग में नारकीय ताण्डव

– राकेश अचल


जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण नरसंहार की खबर सुनकर सारी रात नींद नहीं आई। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले इस भूखण्ड को खण्ड-खण्ड किए जाने के छह साल बाद हुए इस आंतकी कुकृत्य में दो दर्जन से अधिक उन निरीह युवाओं की जान चली गई जो अपना घर-संसार बसाने से पहले अपने साथ कुछ सुनहरी यादें समेटने यहां आए थे। इस नराधम कार्रवाई से देश ही नहीं पूरी दुनिया स्तब्ध है। इस हादसे की निंदा करने के लिए भी शब्द कम पड रहे हैं। पूरी घाटी आने वाले काले दिनों के खौफ से जार-जार हो उठी है।
भारत का ये अभिन्न अंग शुरू से ही गैर कांग्रेसी राजनीति का केन्द्र रहा है। आजादी के ठीक पहले गठित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बाद में जनसंघ तथा भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर पूरे 72 साल राजनीति की और 2019 में इस प्रावधान को हटाकर ही चैन लिया। इस प्रावधान को हटाने के साथ ही घाटी को आतांकवाद से निजात दिलाने के लिए सूबे को तीन भागों में विभाजित किया, पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की, लेकिन आतंकवाद का खत्मा नहीं हुआ। पहलगाम का नरसंहार एक दु:स्वप्न की तरह हमारे सामने है। पहलगाम आतंकी हमले में कुल 26 लोग मारे गए, जिसमें दो विदेशी और दो स्थानीय शामिल है। मृतकों में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल शहीद हो गए। हाल ही में शादी के बाद वे हनीमून पर पत्नी संग पहलगाम गए थे, हमले में उनकी पत्नी सुरक्षित बचीं। यह हमला पहलगाम के बैसरन घाटी में हुआ, जहां अक्सर पर्यटक आते हैं। इस इलाके में केवल पैदल या घोडों से ही पहुंचा जा सकता है। लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
इस अकल्पनीय हत्याकाण्ड के लिए कौन जिम्मेदार है और कौन नहीं, इसकी मीमांसा बाद में हो जाएगी। लेकिन अभी तो ये तय करना है कि क्या घाटी से 370 हटाने की वजह से ये वारदात हुई है या देश में अल्पसंख्यकों के साथ वक्फ बोर्ड कानून के जरिये उनकी भावनाओं से छेडछाड की कोशिश इसकी वजह है? इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि इस समय देश सबसे बडे संक्रमण काल से गुजर रहा है। देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की उधेडबुन ने देश को हर तरफ से साम्प्रदायिकता की आग में झौक दिया है। हिन्दू-मुसलमान अकेला हो तो आप सम्हाल भी लें, किन्तु अब तो हिन्दू बनाम दलित, हिन्दू बनाम जैन, हिन्दू बनाम हिन्दू, हिन्दू बनाम आदिवासी, यानि हिन्दू बनाम सब कुछ चल रहा है और हमारे भायविधाता न जम्मू-कश्मीर सम्हाल पा रहे हैं और न बंगाल। मणिपुर वे पहले ही जला चुके हैं। अब कश्मीर घाटी भी एक बार फिर धधक उठी है।
घाटी में अब चुनी हुई सरकार है, लेकिन ये सरकार आधी-अधूरी सरकार है। ये राज्य सरकार नहीं बल्कि एक केन्द्र शासित क्षेत्र की सरकार है। यहां सीमाओं की सुरक्षा हो या पुलिस सब केन्द्र के हाथ में है और केन्द्र इस समय साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण में व्यस्त है। राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी को जेल भेजने की तैयारियों में व्यस्त है। हमारे भाग्यविधातों को बिहार और बंगाल की सत्ता जीतना है और ईडी, सीबीआई तथा केंचुआ के बाद भारत की न्यायपालिका को भी बंधुआ बनाना है। इसके लिए देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना तक को देश में कथित तौर पर चल रहे तमाम गृह युद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यदि भाजपा का यही पैमाना है तो पहलगांम के नरसंहार के लिए भी देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ही जिम्मेदार हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ कहा है कि गुनहगारों को बख्शा नहीं जाएगा। आतंकवादियों की कायराना हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना तैयार है। हमारी सेना तो पहले भी आतंकवादियों से लगातार जूझ ही रही थी, उसके हाथ किसी ने बांधे थोडे ही थे। फिर भी ये हादसा हुआ इसका अर्थ है कि सरकार और सेना की रणनीति में कहीं कोई झोल रह गया। यानि सरकार का और सेना का खुफिया तंत्र नाकाम साबित हुआ। सवाल ये है कि जब हमारी सरकार एक बार सर्जिकल स्ट्राइक कर चुकी है फिर ये आतंकी कहां से आ गए? सरकार को पता था कि पहलगाम हत्याकाण्ड का मुख्य मास्टर माइण्ड ताजा आतंकी हमले से दो महीने पहले ही सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था, जहां पाकिस्तान सेना की एक बडी बटालियन रहती है। वहां पाक सेना के एक कर्नल जाहिद जरीन खटक ने उसे जेहादी भाषण देने के लिए बुलाया था। उसके वहां पहुंचने के बाद खुद कर्नल ने उसके ऊपर फूल बरसाए थे।
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सरकार सक्रिय हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमित शाह से फोन पर बातचीत की। उन्होंने इस घटना पर कडी कार्रवाई करने के आदेश दिए। शाह ने कहा कि इस जघन्य आतंकी हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और हम अपराधियों पर कडी कार्रवाई करेंगे और उन्हें कडी से कडी सजा देंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर पहुंचकर सभी एजेंसियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की है। अब नतीजों का इंतजार करना होगा।