भिण्ड, 19 मार्च। राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग के संयोजक नरसिंह कुमार चौबे ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि चंबल नदी का उदय मालवा मध्य प्रदेश में हुआ है। मालवा से चली चंबल नदी राजस्थान और मप्र की सीमा पर बांधों का निर्माण होने से किसानों की समस्याओं का निदान हुआ और किसान खुशहाल हुआ और चंबल अंचल में आकर चंबल नदी का अस्त हुआ। यहां पर चंबल नदी का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा के पानी पर निर्भर रहता है, जबकि अंचल में पांच-पांच नदियों का जलसंगम है। क्वारी, चंबल, यमुना, सिंध और पहुज जलसंगम पर पंचनदा बांध की परियोजना 25 अक्टूबर 1984 में बनाई गई थी। केन्द्र सरकार से योजना के लिए लाखों-अरबों रूपये का बजट आता रहा है, लेकिन पचनदा बाँध परियोजना पर काम आज दिनांक तक शुरू नहीं हो पाया है।
चौबे ने बताया कि अगर पचनदा बांध का निर्माण हो जाता है तो चंबल अचल में भूमि कटाव कम होता, जमीन का वाटर लेवल कम नहीं होता। सिंचाई, बिजली समस्या का समाधान होता, चंबल अंचल में नदियों का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा पर निर्भर रहता है और किसान कर्ज में डूबा रहता है। किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा।
उन्होंने बताया कि चंबालंचल की समस्या और निदान के मुख्य बिन्दुओं को लेकर राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी द्वारा 27 दिसंबर 1999 से पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग की गई है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती अंतिम छोर पर 22 जिलों को मिलाकर जनता के बल पर पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग की गई है। उप्र से आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी और ललितपुर। मप्र से गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और भिण्ड। राजस्थान से धौलपुर, करौली, सवाई, माधौपुर, कोटा, बारा, झालावाड जिले शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उप्र, मप्र और राजस्थान के मुताबिक 22 जिलों में यह चंबल कलश रथयात्रा प्रदेश गठन होने तक जारी रहेगी।