कुम्भ, कुम्भ, कुम्भ और सिर्फ कुम्भ का उन्माद

– राकेश अचल


कोई माने या न माने लेकिन मैंने मान लिया है कि अब प्रयागराज में आस्था का महाकुम्भ नहीं बल्कि प्रतिस्पद्र्धा का कुम्भ चल रहा है। राज्य पोषित इस कुम्भ पर बच्चों का भविष्य कुर्बान किया जा रहा है, यहां तक कि वाह-वाही लूटने के लिए कैदियों तक को पुण्य लाभ दिलाने के लिए उन्हें कुम्भ स्नान कराया जा रहा है। ताजा खबर ये है कि महाकुम्भ के चलते प्रयागराज में कक्षा 10 और 12 की अनेक परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं।
दुनिया के किसी देश में तो छोडिये, भारत में भी किसी धार्मिक आयोजन के लिए बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जाता, लेकिन भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में धर्मभीरु सरकार ने ये भी कर दिखाया है। कुम्भ में आने के लिए आतुर भीड को देखते हुए 24 फरवरी को 10वीं की हिंदी प्रारंभिक व हेल्थकेयर की परीक्षा और 12वीं की सैन्य विज्ञान व हिंदी, सामान्य हिंदी की परीक्षा होनी थी। इन्हें अब प्रयागराज के परीक्षा केन्द्रों पर बाद में आयोजित किया जाएगा।
मैं दुनिया के तमाम देशों की यात्राएं कर चुका हूं। मैंने देखा है कि एक अकेला भारत है जो धर्म के नाम पर बच्चों की परीक्षाएं रद्द करता है, क्योंकि भारत में सरकार के लिए राजधर्म से बडा सनातन धर्म है। बच्चों के भविष्य से बडा धर्म का भविष्य है। धर्मभीरु नेताओं और सरकारों के लिए बच्चे देश का भविष्य नहीं बल्कि धर्म देश का भविष्य है। आप मेरी इस धारणा के लिए मुझे यदि धर्म विरोधी कहना चाहते हैं तो शौक से कह सकते हैं, किन्तु मैं उत्तर प्रदेश के इस फैसले के खिलाफ हूं, जो सरकार ने बच्चों के भविष्य के खिलाफ किया है। आपको बता दूं कि 24 फरवरी को दो शिफ्ट (सुबह 8:30 बजे से 11:45 बजे और दोपहर 2 बजे से शाम 5:15 बजे तक) में परीक्षाएं आयोजित होनी थी। 10वीं की हिन्दी प्रारंभिक व हेल्थकेयर की परीक्षा और 12वीं की सैन्य विज्ञान व हिन्दी, सामान्य हिन्दी की परीक्षा होनी थी, इन्हें अब स्थगित कर दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने नोटिस जारी कर इसकी जानकारी दी है, साथ ही नई एग्जाम डेट की भी घोषणा की है। ये परीक्षाएं ये परीक्षाएं अब 9 मार्च 2025 को आयोजित की जाएंगी। परीक्षाओं के समय में कोई बदलाव नहीं हुआ। परीक्षाएं उसी शिफ्ट में होंगी जिसमें पहले निर्धारित थीं।
उत्तर प्रदेश की धर्मनिष्ठ सरकार खुश है कि प्रयागराज महाकुंभ में 59 करोड से ज्यादा लोग संगम स्नान कर चुके हैं। इन धर्मान्ध लोगों की जेबों से अकेले उप्र की सरकार तीन लाख हजार करोड रुपए निकाल चुकी है। कुम्भ की वजह से शहरी लोगों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड रहा है। लोग अपने ही घरों में एक तरह से ‘नजरबंद’ होकर रह गए हैं। शहर में एक चौराहे से दूसरे चौराहे तक जाने में लोगों को 4 से 5 घंटे लग रहे हैं। साथ ही रोजमर्रा के सामान जैसे दूध, ब्रेड मिलने में भी बहुत दिक्कत हो रही है। पूरा उप्र दो महीने से पंगु हो गया है। सडकें जाम हैं, स्कूल-कॉलेज बंद हैं।
सरकार के धर्मभीरु होने का सबसे बडा उदाहरण ये है कि उप्र के सभी जेलों में महाकुम्भ के पवित्र संगम जल से कैदियों का स्नान कराया जा रहा है। वाराणसी सेंट्रल जेल में 2200 से अधिक कैदियों ने मंत्रोच्चार और शंखनाद के बीच इस अनोखे आयोजन में भाग लिया। कैदियों ने इसे सौभाग्य मानते हुए योगी सरकार का आभार जताया और अपनी जल्द रिहाई की प्रार्थना की। उप्र की सरकार ने सभी जिलों में महाकुम्भ से लाए गए पवित्र जल से कैदियों के स्नान का इंतजाम किया और मजे की बात इसे ऐतिहासिक बताया जा रहा है। इसी कडी में वाराणसी के केन्द्रीय कारगर में भी हजारों कैदियों ने श्रद्धापूर्वक स्नान किया। सेंट्रल जेल के 2200 से अधिक बंदियों ने जब महाकुम्भ के पावन जल से स्नान किया, तो जेल परिसर ‘हर हर महादेव’ और ‘जय गंगे मैया’ के उदघोष से गूंज उठा। कैदियों ने इस ऐतिहासिक आयोजन को सौभाग्यशाली बताया और सरकार का आभार व्यक्त करते हुए जल्द रिहाई की प्रार्थना की।
आपको जानकार हैरानी होगी कि जेल मैन्युअल को ताक पर रखकर स्नान से पहले जेल प्रशासन ने जेल के हनुमान मन्दिर में विधिवत मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना की। महाकुम्भ से लाए गए जल को अभिमंत्रित किया गया, जिसके बाद शंखनाद की गूंज के साथ जेल परिसर में कलश यात्रा निकाली गई। कैदियों ने अपने सिर पर संगम त्रिवेणी के पवित्र जल का कलश रखकर परिक्रमा की और जेल के चार अलग-अलग हिस्सों में स्थापित टैंकों में इसे अर्पित किया। इसके बाद महाकुम्भ संगम के जल को उन टैंकों में भर दिया गया, ताकि सभी कैदी इस पुण्य लाभ में शामिल हो। सत्ता प्रतिष्ठान के धर्मान्ध होने का ये पहला उदाहरण है। लेकिन आप इन हरकतों का विरोध नहीं कर सकते। करेंगे तो हिन्दुत्व और सनातन विरोधी ठहरा दिए जाएंगे।
इस देश में कुम्भ पहली बार नहीं हो रहा, हां पहली बार कुम्भ को योगी सरकार ने हस्तगत कर लिया है। कुम्भ को हस्तगत करने के पीछे केवल और केवल राजनीति है। सुनियोजित ढंग से देश में धार्मिक उन्माद पैदा कर जनता को असल मुद्दों से भटकाया जा रहा है। कुम्भ किसानों के आंदोलन को निगल गया। कुम्भ अमेरिका से आने वाले अवैध प्रवासियों के साथ अमेरिका सरकार की अमानवीयता को निगल गया। कुम्भ ने उप्र के बच्चों के भविष्य की परवाह नहीं की। कुम्भ गंगाजल के प्रदूषण को लेकर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट को पी गया। उलटे विज्ञान को गलत साबित करने के लिए सत्ता पोषित वैज्ञानिक ही मोर्चे पर खडे कार दिए गए हैं। भगवान जाने ये कुम्भ इस देश को कहां ले जाकर छोडेगा? हे ईश्वर अब तू ही इस देश की रक्षा कर। आकाशवाणी कर की गंगा पाप धोने के लिए, मोक्ष प्रदान करने के लिए हमेशा धरती पर रहने वाली है, इसलिए उन्माद से बाहर निकलो!