भिण्ड, 28 जनवरी। राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पृथक चम्बल प्रदेश गठन की मांग के संयोजक नरसिंह कुमार चौबे ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आगामी 30 जनवरी से उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान के प्रस्तावित 22 जिलों में चम्बल कलश रथयात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा चम्बल प्रदेश गठन होने तक जारी रहेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से चम्बल कलश रथयात्रा कार्यक्रम के लिए तैयार रहने की अपील की है।
चौबे ने बताया कि चम्बल नदी का उदय मालवा मप्र में हुआ है। मालवा से चली चम्बल नदी राजस्थान और मप्र की सीमा पर बांधों का निर्माण होने से किसानों की समस्याओं का निदान हुआ और किसान खुशहाल हुआ और चंबल अंचल में आकर चंबल नदी का अस्त हुआ। यहां पर चंबल नदी का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा के पानी पर निर्भर रहता है जबकि अंचल में पांच-पांच नदियों का जलसंगम है। क्वारी, चंबल, यमुना, सिंध और पहुज जलसंगम पर पंचनदा बांध की परियोजना 25 अक्टूबर 1983 में बनाई गई थी। केन्द्र सरकार से योजना के लिए लाखों-अरबों रुपए का बजट आता रहा है, लेकिन पचनदा बांध परियोजना पर काम आज दिनांक तक शुरू नहीं हो पाया है।
उन्होंने बताया कि अगर पचनदा बांध का निर्माण हो जाता है तो चंबल अंचल में भूमि कटाव कम होता, जमीन का वाटर लेवल कम नहीं होता। सिंचाई, बिजली समस्या का समाधान होता, चम्बल अंचल में नदियों का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा पर निर्भर रहता है और किसान कर्ज में डूबा रहता है। किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा। चम्बालंचल की समस्या और निदान के मुख्य बिन्दुओं को लेकर राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी द्वारा 27 दिसम्बर 1999 से पृथक चम्बल प्रदेश गठन की मांग की गई है। इसमें उप्र, मप्र और राजस्थान के सीमावर्ती 22 जिलों को मिलाकर जनता के बल पर पृथक चम्बल प्रदेश गठन की मांग की गई है। उत्तरप्रदेश से आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी और ललितपुर । मध्य प्रदेश से गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और भिण्ड। राजस्थान से धौलपुर, करौली, सवाई माधौपुर, कोटा, बारा, झालावाड जिले शामिल हैं।