-विहसन्त सागर महाराज का नेमीनाथ मंदिर बजरिया में हुआ मंगल प्रवेश
भिण्ड, 12 जनवरी। मेला ग्राउंड में एक से 5 फरवरी तक होने वाले भगवान महावीर स्वामी 24 जिनविम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसन्त सागर महाराज नगर के विभिन्न मंदिरों में जाकर प्रवचनों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को सुबह 9 बजे श्री1008 नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बजरिया में मंगल प्रवेश हुआ। जहां पर एक दिवसीय प्रवचन एवं प्रतिमा तिलक दान कार्यक्रम के पश्चात सोमवार को सुबह विकास नगर जैन मंदिर में मंगल प्रवेश करेंगे।
मेडिटेशन गुरु विहसन्त सागर महाराज ने नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बजरिया में धर्मसभा में प्रवचन करते हुए कहा कि ज्ञान मद ज्ञानी को नहीं अज्ञानी को होता है। अधजल गगरी छलकत जाए, थोता चना बाजे घना, बस ऐसी ही हालत ज्ञान मद वालों की है। केवल ज्ञानी को ज्ञान मद नहीं होता क्योंकि ज्ञान पूर्णता को प्राप्त है। क्षयोपसम ज्ञानियों में ज्ञान मद संभव है, यदि ज्ञान मद की बाहुलता हो जाए तो जीव सम्यक दर्शन से भी वंचित हो जाता है।
मुनिराज ने आगे कहा कि जिन चार अक्षरों का अभिमान कर रहे हो, वह भी तुम्हारा नहीं है पुदगल (शरीर) ही है। संत चिंतन करते हैं, क्षयोपसम ज्ञान मेरा स्वभाव नहीं है। वह तो क्षणभंगुर है छूट जाता है, मेरा अपना तो क्षायिक ज्ञान है फिर क्षायोपस्मिक ज्ञान पर अभिमान क्यों करूं। दूसरे की कार में बैठकर हम उतने खुश नहीं होते जितना अपनी पर्सनल कार में बैठकर होते हैं, जो हमारा नहीं उसका अभिमान कैसा।