पंचनद तट पर कला और प्रकृति का अनौखा संगम आज

-पंचनद तट पर हिमांशु करेंगे रेत कला का अनोखा प्रदर्शन

भिण्ड, 08 जनवरी। विश्व के अनोखे पांच नदियों-चंबल, यमुना, सिंध, पहुंज और क्वारी-के महासंगम पर चंबल संग्रहालय के बैनर तले कटक, उडीसा के सुविख्यात सैंड आर्टिस्ट हिमांशु शेखर परिदा अपनी रेत कला का जादू बिखेरेंगे। आगामी नौ जनवरी को पंचनद तट उनके उत्कृष्ट सृजन से गुलजार होगा।
हिमांशु शेखर परिदा भारतीय रेत कला के क्षेत्र में एक अग्रणी कलाकार हैं, जिनकी रचनात्मकता और तकनीकी कौशल ने उन्हें वैश्विक मंच पर ख्याति दिलाई है। उनकी कलात्मक यात्रा कटक के एक समृद्ध कलात्मक विरासत वाले परिवार में आरंभ हुई। उनके पिता, गगन बिहारी परिदा, जो एक प्रसिद्ध चित्रकार और मूर्तिकार थे, ने हिमांशु के बचपन में ही उनके अंदर कला जागृत कर दी। चित्रकार और मूर्तिकार थे, ने हिमांशु के बचपन में ही उनके भीतर कला के प्रति प्रेम और समर्पण का बीज बोया।
दस वर्ष की आयु में हिमांशु ने अपने पिता के मूर्तिकला कार्यों में हाथ बंटाना शुरू किया। उनके शुरुआती दिन कटक की शांत नदियों के किनारे रेत के साथ खेलते हुए बीते, जो आगे चलकर उनकी हस्ताक्षर कला का आधार बना। चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि 9 जनवरी 2025 को पंचनद तट पर उनकी प्रस्तुति कला प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव साबित होगी। हिमांशु शेखर परिदा की कलात्मकता आने वाले समय में भी भारतीय रेत कला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने और कला के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने का कार्य करेगी।