जो काम प्रेम भाव से संभव है, वो हिंसा से नहीं : शास्त्री

ग्राम मिहोनी में कथा के समापन दिवस पर कथा वाचक ने किए प्रवचन

भिण्ड, 21 दिसम्बर। अटेर क्षेत्र के ग्राम मिहोनी शाला वाले हनुमान मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन पं. आशीष शास्त्री के मुखर बिंद से हजारों भक्त कथा का रसपान किया। इन सात दिनों में उन्होंने कथा में चार वेद, गीता पुराण की व्याख्या करते हुए भगवान श्रीकृष्ण के वात्सल्य प्रेम, बालपन प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा की गईं विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया।
उन्होंने वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, कुविचार को दूर कर सुंदर समाज के निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया। इस धार्मिक अनुष्ठान के सात दिवस में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की सर्वोपरि बाललीला, रासलीला, मथुरा गमन, कंसवध, कुब्जा उद्धार, शिशुपाल बध, रुक्मणी विवाह, कालीदाह लीला व सुदामा चरित्र का वर्णन कर भक्ति रस में डुबो दिया। इस दौरान भजन गायन ने उपस्थित श्रद्धालुओं को ताल और धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। शास्त्री जी ने सुंदर समाज निर्माण के लिए उपदेश के माध्यम अपने को उस आचरण करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जो काम प्रेम-भाव से सम्भव है हिंसा से नहीं। इस सात दिवसीय कथा में आस-पास के गांव के अलावा दूर दराज से भी काफी संख्या में महिलाएं व पुरुषों ने आनन्द उठाया। परीक्षित गीता देवी व आयोजक कुलदीप तिवारी ने दूर-दूर से कथा सुनने आ रहे श्रद्धालुओं का सम्मान किया।