– राकेश अचल
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई। भाजपा ने तो राहुल गांधी को कठिन परिश्रम के बाद ‘राजनीति का पप्पू’ बनाया था, लेकिन राहुल गांधी तो राजनीति के गुंडे बन गए। टीशर्ट वाले गुंडे। राहुल ने तो संसद के मकर द्वार पर भाजपा की सारंगी को ही बजा दी। अब राहुल के खिलाफ संसद मार्ग थाने में प्राथिमिकी लिखाई जा चुकी है। राहुल अब जाओ और अपनी गिरफ्तारी के लिए तैयारी करो। इधर संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होगा और उधर तुम्हारी गिरफ्तारी होगी। देखते हैं कौन माई का लाल तुम्हे जेल जाने से रोकता है?
राहुल को हम सब और तमाम दुनिया एक भद्र युवा संसद और कांग्रेस का नेता समझते हैं, लेकिन भाजपा को ऐसा कोई भ्रम नहीं है। भाजपा राहुल को शुरू से पप्पू बनाती और समझती रही, लेकिन जब राहुल ने आम चुनाव में भाजपा का अश्वमेघ का घोडा पकड कर 400 पार करने से पहले ही बांध लिया तो भाजपा सकते में आ गई। बामुश्किल भाजपा ने छह माह राम-राम कहकर काटे हैं और संसद का शीत सत्र समाप्त होते-होते तक राहुल को पप्पू से गुंडा बना ही दिया। अब संसद नहीं बल्कि संसद मार्ग थाने की पुलिस और बाद में अदालत तय करेगी कि राहुल गांधी पप्पू हैं या गुंडे।
मजे की बात देखिए कि मणिपुर में सैकडों निरीह लोगों के नरसंहार पर भी जिन प्रधानमंत्री जी की नींद नहीं टूटी, उन प्रधानमंत्री जी ने राहुल गांधी द्वारा कथित रूप से दिए गए धक्के में जख्मी हुए भाजपा संसद प्रताप सारंगी की खैरखबर मोबाईल कर ली। सारंगी ने मीडिया के समाने प्रधानमंत्री जी से संवाद का बाकायदा ऑडियो रिकार्ड कराया, यानि प्रधानमंत्री जी से मोबाईल का आडियो खोलकर बात की। काश प्रधानमंत्री जी की ऐसी ही कृपा देश के दूसरे पीडितों पर भी हो जाए। भाजपा के प्रताप सारंगी राजनीति में आने से पहले न पप्पू थे और न गुंडे। वे तो केवल भाजपा की सारंगी बजाते थे। उन्होंने ग्राहम को नहीं मारा। उनकी ग्राहम के हत्यारे बजरंगी पहलवान से भी कोई दोस्ती नहीं थी।
मुझे जितना गर्व देश की संसद पर नहीं है, उससे ज्यादा गर्व देश के संसद मार्ग थाने पर है। संसद मार्ग थाने की पुलिस ने लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ तमाम उन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है जो आमतौर पर किसी गुंडे या मवाली के खिलाफ इस्तेमाल की जाती है। राहुल के खिलाफ धारा 115 : स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, धारा 117 : गंभीर चोट पहुंचाना, धारा 125 : जीवन और व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना, धारा 131 : आपराधिक बल का प्रयोग, धारा 351 : आपराधिक धमकी देने और धारा 3(5) : सामान्य उद्देश्य से काम करने का मामला दर्ज किया है। अब यदि संसद मार्ग थाने ने इस मामले में राहुल गांधी की गिरफ्तारी न की तो पुलिस के साथ दिल्ली पुलिस के मुखिया की भी नाक काट जाएगी। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर, बांसुरी स्वराज और अन्य नेताओं ने संसद मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई। यानि सारंगी और बांसुरी समवेत सुर में बज रही हैं।
मकर द्वार पर धक्का-मुक्की के मामले में चूंकि भाजपा थाने गई तो कांग्रेस भी थाने गई। लेकिन पुलिस ने कांग्रेस की शिकायत पर कोई मामला दर्ज नहीं किया, लेकिन शिकायत ले ली। हमारे देश की पुलिस अक्सर ऐसा ही करती है। कांग्रेस की शिकायत में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ धक्का-मुक्की की शिकायत गई, दिल्ली पुलिस ने कहा कि कांग्रेस की शिकायत की फिलहाल जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद उचित कदम उठाया जाएगा। हमरे देश कि पुलिस का उचित कदम तभी उठता है जब उससे ऐसा कदम उठाने के लिए कहा जाए।
दरअसल इस फसाद की जड में तो केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और डॉ. भीमराव अम्बेडकर हैं, इसलिए कायदे से तो इन दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया जाना चाहिए था। क्योंकि न अमित शाह डॉ.अम्बेडकर के बारे में कोई टिप्पणी करते और न कांग्रेस इसके विरोध में कोई मार्च निकालती। कांग्रेस ने अमित शाह की ओर बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पर की गई टिप्पणी के विरोध में संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। कांग्रेस सांसदों ने सदन की कार्रवाई शुरू होने से पहले अम्बेडकर की प्रतिमा से लेकर मकर द्वार तक मार्च किया। इसी मार्च के बाद धक्का-मुक्की का दिसंबर आ गया। संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के निकट सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य एक दूसरे के सामने आ गए और जमकर नारेबाजी की। ये काम पहले संसद के भीतर हो चुका था लेकिन जब विपक्ष मार्च कर रहा था तो सत्तापक्ष हाथ पर हाथ धरकर क्यों बैठता?
नगालैंड की बीजेपी सदस्य फान्गनॉन कोन्याक ने तो आरोप लगाया कि वह जब संसद के मकर द्वार के पास अन्य सांसदों के साथ प्रदर्शन कर रही थीं तभी लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी उनके समीप आ गए और उन पर चिल्लाने लगे। कोन्याक ने आसन की अनुमति से अपनी बात रखी और यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह इस घटना को बहुत ही दुखी मन से बयान कर रही हैं। सभापति जगदीप धनखड ने सदन में व्यवस्था बनाने की कोशिश करते हुए कहा कि वह भाजपा की शिकायत पर गौर कर रहे हैं। संसद भवन परिसर में हुई हाथापाई को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी सांसद को संसद भवन के किसी भी गेट पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति न दी जाए। यानि पहले जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन बंद कराए गए और अब संसद के सभी दरवाजों को प्रदर्शनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। इससे निश्चित ही हमारा लोकतंत्र मजबूत होगा।
संसद के मकर द्वार पर हुई कथित धक्का-मुक्की ने इतिहास रच दिया है। अब राहुल गांधी बैठे-बैठाये हीरो कहिए या खलनायक बनने जा रहे हैं। भाजपाजन राहुल के पुतले जलाने लगे हैं और कांग्रेस राहुल बाबा को हीरो बनाने में लगी है। आपको याद होगा कि भाजपा पहले से ही राहुल की टीशर्ट और उनकी बहन प्रियंका के फिलिस्तीन झोले से आतंकित थी और अब राहुल ने अपने टोलों का पावर भी कथित रूप से दिखा दिया है। मुझे लगता है कि मकर द्वार काण्ड को देखते हुए जब भी देश में एक साथ चुनाव होंगे तब टिकट वितरण में राहुल जैसे टीशर्ट पहनने वाले और टोले बनाने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। पुलिस के अलावा अब देश की जनता को भी तय करना है कि राहुल गांधी गुंडे हैं या पप्पू या विपक्ष के नेता या देश के भावी भाग्यविधाता? मैं तो कुछ भी तय नहीं कर पा रहा फिलहाल।