– राकेश अचल
कुछ चीजें जाने-अनजाने गले पड जाती हैं तो पीछा नहीं छोडतीं, ठीक उसी तरह जिस तरह कुछ भूत मरने-मारने के बावजूद सिर से नहीं उतरते। उन्हें उतरने के लिए लम्बी प्रतीक्षा करना पडती है। अनचाही चीजों से पिंड छुडाने के लिए भी लम्बी मशक्कत करना पडती है। इस समय भाजपा के सिर पर दस साल से कांग्रेस का भूत और गले में धारा 370 हड्डी की तरह फंसी हुई है।
तीसरी बार देश की सत्ता में आई भाजपा के साथ पहली बार मेरी सहानुभूति उमड रही है। आखिर भाजपा ने सत्ता में आने के लिए, एक नया युग (मोदी युग) शुरू करने के लिए बहुत पापड बेले, तब कहीं जाकर 34 साल बाद सत्ता में आई थी। दुर्भाग्य ये है कि भाजपा लगातार पापड बेल रही है, लेकिन खुद खा नहीं पा रही। जिस धारा 370 को हटाने में भाजपा को एक लम्बी यात्रा करना पडी। वो ही धारा 370 अब फिर से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनावों के आते ही एक बार फिर गले पड गई है। कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष कह रहा है कि यदि राज्य में भाजपा सत्ता में न आई तो जम्मू-कश्मीर को धारा 370 फिर से लौटा दी जाएगी।
आपको याद होगा कि चार महीने पहले ही संपन्न आम चुनावों में भाजपा ने अपने लिए 370 और अपने गठबंधन के लिए 400 पार का लक्ष्य रखा था, किन्तु देश की जनता ने भाजपा को दोनों ही लक्ष्य पूरे नहीं करने दिए। भाजपा 240 पर ही अटक गई। भाजपा ने जैसे-तैसे इस दर्द को, इस आंकडे को भुलाने की कोशिश की थी किन्तु जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव घोषित होते ही समूचे विपक्ष ने एक बार फिर धारा 370 की वापसी का राग अलापकर भाजपा की मुश्किलें बढा दी हैं। मुश्किलें कम करने और मुश्किलें बढाने में बडा अंतर है। भाजपा को लगा कि धारा 370 हटाने के बाद सीमा पर कर किसी खाई में गिरकर मर गई होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वो तो जहां थी, वहीं आज भी है, केवल उसे जम्मू-कश्मीर से हटा दिया गया था।
गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी से सवाल करते हुए पूछा कि यह दर्जा कौन वापस दे सकता है? यह दर्जा तो सिर्फ भारत सरकार दे सकती है, प्रधानमंत्री दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं बाबा मन्हास के मन्दिर की कसम खाकर कहता हूं कि हम आपको 370 वापस नहीं लाने देंगे। आपको दलित और गुज्जर बकरवाल भाइयों के रिजर्वेशन को समाप्त नहीं करने देंगे। अपने पुराने सियासी कश्मीरी दोस्तों को इंगित कर अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार ने जम्मू कश्मीर को लूटा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और फारूक अब्दुल्ला को मत जिताना, नहीं तो जम्मू कश्मीर का विकास रुक जाएगा। जम्मू कश्मीर के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक ध्वज, एक संविधान के तहत पहला चुनाव हो रहा है। कांग्रेस तो छोडिए अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम रहे उमर अब्दुल्ला ने गृह मंत्री अमित शाह को सीधा चैलेंज देते हुए आर्टिकल 370 को वापस लाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि हम चुनाव जीते तो अनुच्छेद 370 को दोबारा लागू करेंगे। इसके लिए वक्त लगेगा, लेकिन यह होकर रहेगा। 370 हटने के बाद जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव पहली बार होने जा रहे हैं तब इसकी गूंज और जोर से सुनाई पड रही है।
हमें पता है कि धारा 370 को हटाना न आसान था और अब तो दोबारा लागू करना और भी मुश्किल है। इसीलिए मैं मुश्किल शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं, असंभव का नहीं। आपको याद होगा कि तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पांच अगस्त 2019 को सीओ 272 जारी किया था। राष्ट्रपति का यह वह आदेश था जिसके जरिए संविधान के अनुच्छेद 367 को संशोधित किया गया। इसमें कहा गया कि अनुच्छेद 370(3) में उल्लेखित संविधान सभा की जगह इसे विधानसभा कहा जाएगा। इससे ही 370 हटाने का रास्ता साफ हुआ। लेकिन भाजपा ने धारा 370 को संविधान से विलोपित शायद नहीं किया है और अब शायद ऐसा करने का समय भी नहीं है और कूबत भी नहीं है। इसलिए इस धारा को लेकर जम्मू-कश्मीर का अवाम देश की मुख्यधारा में वापस आएगा या नहीं, इसमें संदेह है।
हम धाराओं के साथ बहने वाले लोग नहीं है। हमें धारा के विपरीत अपना रास्ता तय करने की आदत है, लेकिन हमें फिक्र भाजपा की है, उसके तनाव की है और उसकी चुनौतियों की है, क्योंकि पार्टी का नेतृत्व बूढा हो चुका है। नेतृत्व को लेकर असंख्य विवाद भी हैं। देशकाल परिस्थितियों में भी तेजी से तब्दीली आ रही है। सबसे बडी बात ये कि भाजपा अपने आपको समय के हिसाब से ढाल नहीं पा रही। भाजपा आज भी हिन्दू-मुसलमान पर अडी है। भाजपा के संकल्प पत्र में भी यही हुआ। घाटी के लिए भाजपा ने ऐसी एक भी योजना नहीं बनाई जो वहां के किसी मुस्लिम नेता के नाम पर हो। हम तो रामसेवक लोग है। मानते हैं कि ‘हुईए वही जो राम रची रखा। को कहि तक बढावहि साखा।।’