रिश्वतखोर पटवारी को चार वर्ष का कारावास

न्यायालय ने लगाया चार हजार का अर्थदण्ड

सतना, 11 अक्टूबर। विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सतना के न्यायाधीश श्री अनुराग द्विवेदी ने लौलाछ, सर्किल बिहरा, तहसील कोटर, जिला सतना के तत्कालीन हल्का पटवारी अखण्ड प्रताप सिंह पुत्र देवलाल सिंह उम्र 51 वर्ष निवासी खरवाही, थाना अमरपाटन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 07 के अंतर्गत तीन वर्ष का कारावास एवं दो हजार रुपए का अर्थदण्ड तथा धारा 13(1)(डी), 13(2) में चार वर्ष का कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया है। मामले में राज्य की ओर से पैरवी एडीपीओ हरिकृष्ण त्रिपाठी ने की।
मीडिया सेल प्रभारी/ एडीपीओ जिला सतना हरिकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि शिकायतकर्ता जयसिंह पुत्र वैद्यनाथ सिंह उम्र 42 वर्ष निवासी ग्राम लौलाछ, तहसील कोटर, जिला सतना ने 31 दिसंबर 2015 को इस आशय से शिकायत दर्ज कराई कि उसने अपने गांव में जुलाई के महीने में ०.146 हेक्टेयर जमीन खरीदा था, जिसके दस्तावेज शिकायतकर्ता द्वारा आरोपी अखण्ड प्रताप सिंह हल्का पटवारी लौलाछ को माह अगस्त 2015 में नामांतरण कराने एवं ऋण पुस्तिका बनाकर देने हेतु दिया था, इसके बाद शिकायतकर्ता आरोपी पटवारी से कई बार मिला तो पटवारी ने कहा कि नामांतरण करा दिया है, लेकिन ऋण पुस्तिका बनाकर मैं तब दूंगा जब तुम मुझे 3500 रुपए रिश्वत दोगे, जिसमें से 1500 रुपए पटवारी द्वारा शिकायत कर्ता से ले लिया गया और दो हजार रुपए रिश्वत की और मांग कर रहा था। शिकायतकर्ता जयसिंह ने आरोपी पटवारी को उस समय दो हजार रुपए रिश्वत की राशि नहीं दी, बल्कि रिश्वत की राशि दो हजार रुपए लेते हुए आरोपी पटवारी को पकड़वाने के आशय से एक लिखित शिकायत पत्र पुलिस अधीक्षक विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय रीवा संभाग रीवा को दी। पुलिस अधीक्षक ने अपने अधीन पदस्थ निरीक्षक अशोक पाण्डेय से शिकायत का सत्यापन कराया। आरोपी पटवारी द्वारा शिकायतकर्ता से रिश्वत की अवैध मांग करने की पुष्टि होने पर आरोपी पटवारी के विरुद्ध भ्रष्टााचार निवारण अधिनियम की धारा 07 के अंतर्गत अपराध का पंजीयन किया गया एवं विधिवत ट्रैप कार्रवाई आयोजित की गई। ट्रैप दल ने सात जुलाई 2016 को आरोपी अखण्ड प्रताप सिंह को तहसील परिसर कोटर जिला सतना में दो हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथो पकड़ा, आरोपी के कब्जे से रिश्वत में लिए गए दो हजार रुपए जब्त किए। संपूर्ण विवेचना के उपरांत आरोपी अखण्ड प्रताप सिंह के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 07, धारा 13(1)(डी), 13(2) के तहत दण्डनीय अपराध करना प्रमाणित पाए जाने पर अभियोग पत्र तैयार किया जाकर न्यायालय के समक्ष विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत गवाहों और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर आरोपी अखण्ड प्रताप सिंह के विरुद्ध न्यायालय द्वारा मामला प्रमाणित पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 07 के अंतर्गत तीन वर्ष का कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माना तथा धारा 13(1)(डी), 13(2) में चार वर्ष का कारावास एवं दो हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।