नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास

सागर, 11 जुलाई। विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को दोषी करार देते हुए धारा 376(2)(एन) भादंसं के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एससी/एसटी एक्ट में तीन वर्ष सश्रम कारावास व 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(अ) एससी/एसटी एक्ट में आजीवन कारावास व दो हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता (अभियोक्त्री के दादा) ने थाना देवरी में सात जुलाई 2019 को इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि पांच जुलाई की रात करीब 10 बजे वे सभी लोग खाना खाकर सो गए थे। छह जुलाई के सुबह करीब चार बजे उसकी बडी नातिन निस्तार के लिए उठी तो बालिका बिस्तर पर नहीं थी, जिसके बारे में सभी को बताया तथा परिवार के सभी लोगों ने बालिका की तलाश आस-पास व रिश्तेदारी में की किन्तु कोई पता नहीं चला। किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने के संबंध में रिपोर्ट लेख कराई। उक्त रिपोर्ट पर बालिका के संबंध में गुम इंसान क्र.41/2019 लेख की जाकर अज्ञात के विरुद्ध अपराध क्र.314/2019 अंतर्गत धारा 363 भादंसं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की जाकर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान 26 फरवरी 2021 को बालिका को दस्तयाब किया गया था। बालिका के कथन लेखबद्ध किए गए, जिसमें उसने अभियुक्त के साथ चिंचोली नासिक जाना तथा वहां पर मन्दिर में शादी करना तथा पति-पत्नि की तरह रहना तथा अभियुक्त से उसे एक लडका पैदा होना बताए जाने के आधार पर प्रकरण में अभियुक्त के विरुद्ध धारा 366, 376(2)(एन) भादंसं एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं एससी/एसटी एक्ट 1989 के अंतर्गत विवेचना उपरांत न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।