मनुष्य और वन्य जीवन के बीच संघर्ष में मनुष्यों को ही जंगल के नियमों का पालन करना होगा : डॉ. मनोज जैन

वल्र्ड क्रोकोडाइल डे पर सुप्रयास ने कनकपुरा गांव में किया जागरुकता कार्यक्रम

भिण्ड, 17 जून। चंबल नदी के किनारे के गावों में आए दिन मगरमच्छों द्वारा मनुष्यों तथा भेड़, बकरियों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके कारण चंबल नदी के किनारे के गांव के निवासियों में मगरमच्छों के प्रति हिंसा और संघर्ष का भाव उत्पन्न हो गया है। उनको लगता है कि मगरमच्छों के कारण उनकी जिंदगी में खलल पड़ रहा है। जबकि मगरमच्छ भी इसी प्रकृति का हिस्सा है। यह बात वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. मनोज जैन ने वल्र्ड क्रोकोडाइल डे के अवसर पर ग्राम कनकपुरा में सुप्रयास द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कही।
डॉ. मनोज जैन ने कहा कि क्रोकोडाइल यानी मगरमच्छ सबसे बड़े रेप्टाइल्स होते हैं, पानी में उनकी मौजूदगी यह बताती है कि उस जलीय संरचना में इकोसिस्टम काफी हद तक ठीक है। यह कुछ इस प्रकार से है जिस प्रकार से जंगल में शेर प्रजाति की मौजूदगी यह बताती है की उस जंगल का इकोसिस्टम काफी हद तक स्वस्थ है। इसको सरल तरीके से कुछ इस प्रकार से समझा जा सकता है। जंगल की सबसे प्राथमिक इकाई घास और वनस्पतियां हैं। उन घास और वनस्पतियों को हिरण प्रजाति के जानवर खाते हैं। हिरण प्रजाति के जानवरों से ऊपर खाद्य श्रृंखला में जंगली श्वान, भेडि़ए, लकड़बग्घा आदि होते हैं। उनसे ऊपर शेर या टाइगर होता है। अब यदि जंगल में टाइगर नहीं होगा तो हिरणों की संख्या इतनी अधिक हो जाएगी कि वनस्पतियां ही नहीं बचेंगी और यदि घास नहीं रहेगी तो ना तो हिरण ही बचेंगे और ना ही टाइगर ही बचेगा। कुछ इसी प्रकार का संबंध जलीय संरचना में मगर और छोटी मछलियों के बीच में है। छोटी मछलियां बड़ी मछलियों का भोजन होती हैं और बड़ी मछलियां मगरमच्छ का आहार होते हैं। मगरमच्छ इस सृष्टि से पानी को साफ रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। मगरमच्छ हमारे शत्रु नहीं है। जंगल का अपना एक नियम होता है। उस नियम के अंतर्गत मनुष्यों को मगरमच्छों के साथ तालमेल बनाकर चलने की आवश्यकता है। यदि हम मगरमच्छ के स्थान का अतिक्रमण करेंगे तो स्वाभाविक है की मगर मच्छ भयभीत होकर अथवा भूख के कारण मनुष्य पर आक्रमण कर देता है मनुष्य उसकी भोजन श्रृंखला का प्राकृतिक हिस्सा नहीं है।

इसके अलावा मगर हमारे सनातन धर्म का अभिन्न अंग है, क्योंकि गंगा मैया मगर पर सवार होकर ही स्वर्ग से धरती पर आई थी उनकी सभी मूर्तियों में उनका वाहन मगर दिखाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि मैं जल में मगर हूं। इतने से ही मगर की महिमा हमको समझ में आनी चाहिए। जिस प्रकार से टाइगर आज मध्य प्रदेश की जंगल टूरिज्म में लोगों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, हम लोग भी यदि प्रयास करें तो मगर हमारे यहां टूरिज्म के रूप में हमारी आय का स्त्रोत बन सकता है।