आदिनाथ दिगंबार जैन मन्दिर का होगा जीर्णोद्धार
भिण्ड, 17 जून। मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज की ससंघ सानिध्य में पवैया धर्मशाला के बगल में आदिनाथ दिगंबर जैन मन्दिर का जीर्णोद्धार एवं भव्य शिलान्यास 16 से 18 जून तक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर विहसंत सागर महाराज ने कहा कि आज 23 वर्षों के बाद इस मन्दिर में आया हूं। यहां से कई बार निकला हूं, आज इस मन्दिर में आया तो जीर्णोद्धार कराने का सौभाग्य हम सभी को मिला है, कहते हैं कि जब तक समय नहीं आता तब तक वह कार्य हो नहीं पाता। उन्होंने कहा कि वास्तु अनुसार जो चीज जहां है वहां रखना चाहिए, ईशान कोण में पानी रखो या बोर कराओ, दक्षिण को भारी रखो, अग्नि कोण में रसोई घर यानी जलाने का कार्य, उत्तर खाली रखो। इन सब चीजों को ध्यान में रखकर मन्दिर बनाया जाता है। जिसमें जितनी मूर्ति आएंगे वह 10 ताल की होना चाहिए। आंख, नाक, कान, सिर, हाथ, पैर, पेट सब एंगल बराबर एक साइज के होना चाहिए।
मुनिराज ने कहा कि घर, मन्दिर या दुकान बनाना सरल है, लेकिन वास्तु में बनाना कठिन होता है। इसलिए जो भी मन्दिर बनाओ, वास्तु के हिसाब से बनाना चाहिए। जब ये सब वास्तु शास्त्रों से नहीं होगी उस मन्दिर या घर में किसी न किसी प्रकार की विघ्न बाधा आती रहती है, जिससे लोग परेशान रहते हैं। मन्दिर बनाओ तो सुंदर बनाओ, जो खुद मन्दिर बन जाओ। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन का यह 57वां मन्दिर का जीर्णोद्धार करवा रहा हूं और 130 से अधिक वेदी प्रतिष्ठा करवा चुका हूं। इस अवसर पर प्रात:कालीन बेला में भारत गौरव गणाचार्य विराग सागर महाराज के चित्र का अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनिराज मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज का पाद प्रक्षालन एवं श्रीफल समाज के सृष्टि जनों ने भेंट किया।