षडय़ंत्र पूर्वक पद का दुरुप्रयोग कर भ्रष्टाचार करने वाले चार आरोपियों को तीन-तीन वर्ष की सजा

भोपाल, 29 अप्रैल। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम भोपाल श्री राजीव के पाल की अदालत ने षडय़ंत्र पूर्वक पद का दुरुप्रयोग कर भ्रष्टाचार करने वाले आरोपीगण आरोपीगण विजेन्द्र कौशल, राधेश्याम गर्ग एवं हुकुमचंद्र सिंघई को धारा 420, सहपठित धारा 120-बी भादंवि में तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 467 भादंवि में तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 471 भादंवि में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 13-1(डी), सहपठित 13(2) पीसी एक्ट में तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड एवं आरोपी लक्ष्मण वाधवानी को धारा 420, सहपठित धारा 120बी भादंवि में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार अर्थदण्ड से दण्डित करने का निर्णय पारित किया है। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती हेमलता कुशवाहा एवं ऋषिराज द्विवेदी ने की।
जनसंपर्क अधिकारी भोपाल मनोज त्रिपाठी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि ग्राम बगौनिया, कल्याणपुर के ग्रामवासियों द्वारा भारतीय गैर न्यायिक स्टाम्प पर हस्ताक्षरित लिखित शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में प्रस्तुत की गई कि जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक मर्यादित भोपाल के अधिकारियों द्वारा ग्राम कोलुआकलां, राताताल, बगौनिया, कल्याणपुर में बैंक अधिनियम 1999 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए ऋण वसूली न होने पर चल-अचल संपत्ति से ऋण वसूली के लिए बैंक अधिकारियों द्वारा नियम एवं शर्तों को अपनाये बिना मिट्टी के भाव में ग्राम कोलुआ, गोविंदपुरा जिला भोपाल की लगभग 23.5 एकड़ भूमि मात्र तीन लाख 50 हजार रुपए में षडय़ंत्र पूर्ण लक्ष्मण वाधवानी को कृषि भूमि नीलाम कर दी और वर्ष 2000 से 2007 के मध्य कृषि भूमि की नीलामी कार्रवाई का सिलसिला कई वर्षों से चल रहा है तथा ऋणी कृषक को बताए बिना एवं विधिवत सूचना ना देकर बंधक भूमि को ऋण राशि न अदा करने पर उनकी भूमि बाजार मूल्य एवं कलेक्टर द्वारा निर्धारित मूल्य से अत्याधिक कम मूल्य पर अवैधानिक रूप से नियम के विरुद्ध नीलामी कार्रवाई कर धोखाधाड़ी कर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नीलामी संबंधित नोटशीट के कूटरचित दस्तावेज तैयार कर पुष्टि हेतु संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं भोपाल को भेजा गया, जहां उनके द्वारा अवैधानिक रूप से नीलामी की पुष्टि आदेश पारित किया गया। उक्त लिखित सूचना के आधार पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा जांच कर अपराध पंजीबद्ध किया गया। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने अभियोजन साक्ष्य, दस्तोवजों एवं तर्कों से सहमत होते हुए आरोपीगण को दण्डित किया है।