आचार्य विमर्श सागर ससंघ बैण्ड बाजों के साथ पहुंचे कार्यक्रम स्थल
भिण्ड, 12 दिसम्बर। आचार्य विमर्श सागर महाराज ससंघ चैत्यालय जैन मन्दिर से बैण्डबाजों के साथ महिलाएं हाथ में ध्वजा लेकर केसरिया साड़ी पहनकर, युवा भक्ति नृत्या करते हुए बताशा बाजार, गोल मार्केट, सदर बाजार, परेड चौराहा होते हुए लश्कार रोड स्थित कीर्तिस्तंभ जैन मन्दिर पहुंचे। जगह-जगह श्रृद्धालु आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन, आरती करते हुए चल रहे थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मंगल ध्वजारोहण करने का सौभाग्य अभय कुमार जैन सिवनी वालों को प्राप्त हुआ। ध्वजा सर्वप्रथम ईशान दिशा में फहराई, जो आयोजन की सफलता का सूचक है। पश्चात विशाल मण्डप का उद्घाटन राकेश जैन ने किया, साथ ही आचार्य संघ ने मण्डप में पदार्पण किया। विशाल मंच पर चतुर्विध संघ के मध्य सिंहासन पर विराजमान पूज्य आचार्य भगवन की वीतरागी छवि को देखकर भक्तों का मनमयूर झूम उठा।
इस अवसर पर आचार्य विमर्श सागर महाराज ने मांगलिक प्रवचनों में कहा कि आज का दिन मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता, प्रफुल्लता का दिन है, क्योंकि गुरुजन जब हमें कुछ देते हैं तो प्रसन्नता होतीहै। यह आचार्य पद जिम्मेदारी भरा पद होता है। मेरे गुरुवर गणाचार्य विराग सागर महाराज ने मुझे यह आचार्य पद प्रदान करते हुए कहा था- अब आप अपने साथ-साथ अन्य जीवों का भी कल्याण करें। इस जगत में यदि कोई उन्नति को प्राप्त होता है तो वह अपने से श्रेष्ठ व्यक्तित्व की शरण को प्राप्त होकर ही होता है। जिनेन्द्र भगवान की आज्ञा ही जिनशासन कहलाता है। आचार्य परमेष्ठी की आज्ञा पालन करने से ही जिनशासन की उन्नति होती है, आचार्य गुरुवार श्री विराग सागर महामुनिराज ने मुझे जिन शासन की उन्नति के योग्य समझा और यह महनीय आचार्य पद प्रदान किया, मैं यहीं से गुरू चरणों में नमोस्तु करता हूं।
श्री शांतिनाथ दिव्यार्चना आज, दीक्षाभूमि पर दीक्षा का रजत महोत्सव कल
प्रेस को जारी विज्ञप्ति में मनोज जैन ने बताया कि आचार्य श्री 108 विमर्श सागर महामुनिराज का दीक्षा भूमि पर दीक्षा का रजत महोत्सव 14 दिसंबर बुधवार तक संपन्न होगा। जिसमें 13 दिसंबर को शांतिनाथ दिव्य महार्चना का आयोजन सुबह 7:30 बजे एवं आचार्यश्री के मांगलिक प्रवचन एवं शाम की सभा में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।