गल्लामण्डी में चल रही रामलीला में हुआ धनुष यज्ञ की लीला का मंचन

भिण्ड, 14 नवम्बर। शहर के पुरानी कृषि उपज मण्डी परिषद में इलाहाबाद प्रयागराज से आए हुए रामलीला के कलाकारों ने धनुष यज्ञ की लीला का बहुत ही सुंदर वर्णन किया और भगवान श्रीराम ने धनुष को तोड़कर राजा जनक के भ्रम को दूर किया।
रामलीला मंचन के तहत रावण बाणासुर का संवाद भी किया गया। राजा महाराजाओं ने भी धनुष को नहीं तोड़ सका, क्योंकि यह धनुष भगवान शंकर के अधीन था और इस धनुष को वही जगह सकता था जो विष्णु का अवतार था। राजा जनक ने पूरी जनकपुरी में तैयारियां की और गुरु विश्वामित्र जी के साथ राम और लक्ष्मण भी निमंत्रण पर पहुंचे थे, जब राजा धनुष को नहीं तोड़ पाए तो जनक जी को आभास हुआ कि मेरी पुत्री कुंवारी रह गई पृथ्वी वीरों से खाली है। राजा जनक के कठोर वचन सुनकर लक्ष्मण जी क्रोधित हो गए और कहने लगे कौन कहता है कि पृथ्वी वीरों से खाली है, एक घिसा पिटा धनुष को अभी तोड़ दूं। श्रीराम के होते हुए पृथ्वी वीरों से खाली नहीं है, जब गुरू विश्वामित्र की आज्ञा से राम जी धनुष के पास पहुंच गए और उन्होंने भंग कर धनुष को तोड़ दिया और जनक नंदिनी सीता जी अपनी सखियों के साथ वरमाला के लिए आईं, उस समय सीता जी छोटी थीं और राम जी बड़े थे, माला नहीं पहना पा रही थीं, जब सीता जी ने लक्ष्मण की ओर देखा और कहने लगे कि लक्ष्मण आप ही कुछ उपाय कीजिए, तो उन्होंने प्रभु श्रीराम के चरणों में अपना शीश प्रणाम करते हुए मां जानकी जी को वरमाला पहनाने में सहयोग किया।