भिण्ड, 08 जून। अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा (एबीवीजीएम) ने गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती नगर परिषद मेहगांव में मनाई। इस अवसर पर सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित किए गए।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय बीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय संगठन सदस्य मुकेश उर्फ छुन्ना गुर्जर ने बताया कि गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान गुर्जर समाज के सम्राट थे, इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं। पृथ्वीराज विजय महाकाव्यं संस्कृत महाकाव्य है। इसे हिन्दी में पृथ्वीराज विजय महाकाव्य भी कहा जाता है। पृथ्वीराज विजय महाकाव्य में तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की मोहम्मद गौरी पर विजय का वर्णन है। इसमें तराइन के द्वितीय युद्ध का उल्लेख नहीं है। इसकी रचना लगभग 1191-92 में पं. जयानक नामक कश्मीरी कवि ने की। जो कि गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज का राज कवि था। गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जन्म जेष्ठ मास कृष्ण पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत 1206 (1149 ईसवी) में हुआ था। इसका वर्णन पृथ्वीराज विजय महाकाव्य के सर्ग सत के श्लोक नं.50 में मिलता है। पृथ्वीराज विजय महाकाव्य के सर्ग 10 के श्लोक नं.50 में पृथ्वीराज के किले को गुर्जर दुर्ग लिखा है और सर्ग 11 के श्लोक नं.सात और नौ में गुर्जरों द्वारा गौरी को पराजित करने का वर्णन है। इस अवसर पर अजमेर सिंह, विशंभर सिंह, निरंजन सिंह, सत्यभान सिंह उर्फ सत्तू, इन्द्रभान सिंह, महेन्द्र सिंह, रामकुमार सिंह, रायसिंह, लाखन सिंह उर्फ रिंकू, सतेन्द्र सिंह, विनोद सिंह, विजय सिंह उर्फ छोटू, इन्द्रजीत सिंह उर्फ पप्पन, रामसिंह उर्फ राम सहित समस्त गुर्जर समाज उपस्थित रहा।