भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर पूजा अर्चना कर चुरारिया ने लिया संतों से का आशीर्वाद

भिण्ड, 03 मई। गोरमी कस्बे से चार किमी दूर छविराम दास महाराज आश्रम पर अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक विष्णु के छटवें अवतार भगवान परशुराम जी महाराज के जन्मोत्सव पर अक्षय तृतीया पावन पर्व पर पूजा अर्चना करने पहुंचे नाथूराम शर्मा चुरारिया तेजपुरा प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा सनातन एवं जिला उपाध्यक्ष कांग्रेस कमेटी भिण्ड ने जन्मोत्सव पर भगवान परशुराम जी महाराज के विग्रह पर माल्यार्पण कर धूप, दीप, नैवेद्य समर्पित कर संत समाज से आशीर्वाद लिया।
इस अवसर पर नाथूराम शर्मा ने भगवान परशुराम जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु ने भगवान परशुराम के रूप में अपना छटवां अवतार लिया था। इसलिए अक्षय तृतीया के साथ-साथ परशुराम जन्मोत्सव भी मनाई जाती है। इस बार अक्षय तृतीया और परशुराम जन्मोत्सव तीन मई को मनाया गया। भगवान परशुराम ने ब्राह्मण कुल में जन्म लिया, लेकिन उनमें गुण क्षत्रियों वाले थे। भगवान परशुराम के जन्म का नाम राम था। उन्होंने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया। जिसके बाद भगवान शिव ने इन्हें कई अस्त्र और शस्त्र प्रदान किए। जिसमें से परशु भी मुख्य है। उन्होंने परशु धारण किया जिसके बाद वे परशुराम कहलाए। परशुराम के अलावा उन्हें रामभद्र, भार्गव, भृगुवंशी आदि नामों से जाना जाता है। परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र थे। परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे। उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता था। धार्मिक मान्यताओं और हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, धरती पर राजाओं द्वारा अन्याय, अधर्म और पाप कर्मो का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था। हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, भगवान परशुराम सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक हैं और कलयुग में आज के समय में भी धरती पर मौजूद हैं। भगवान परशुराम ने कई साहसी पराक्रमी लोगों को शिक्षा दी है। उनके शिष्यों में भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महा पराक्रमी शूरवीर भी शामिल हैं।