जिला प्रशासन ने करा दी प्रभारी मंत्री की किरकिरी
भिण्ड, 15 जुलाई। कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम मंत्री बनने के बाद सिंधिया समर्थक मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत राजस्व एवं परिवहन मंत्री का दौरा प्रभारी मंत्री के रूप में भिण्ड की तपोभूमि पर प्रथम आगमन हुआ था। प्रभारी मंत्री के स्वागत सत्कार की तैयारियां तीन दिन पहले से उनके समर्थकों और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा जोरों से की गईं। गुरुवार को प्रभारी मंत्री गोविन्द राजपूत का काफिला जैसे ही जिले की सीमा में प्रवेश हुआ तो समर्थकों द्वारा भव्य स्वागत की झड़ी लग गई, सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था कि प्रशासन के ढीले रवैये ने कांग्रेसियों को पुतला जलाने का भरपुर वक्त दे दिया और कांग्रेसी अपने मंसूबे में सफल भी हो गए। बात यहीं खत्म नहीं हुई, स्वागत समारोह के बाद मंत्री की प्रेस वार्ता होनी थी तो प्रशासन ने चंद चाटुकार पत्रकारों के कहने पर एक सूची चस्पा कर दी। मजे की बात तो ये है कि उस सूची में सिर्फ 10 फीसदी पत्रकारों के नाम ही थे, जो मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने के लिए अधिकृत थे। सूची देख पत्रकार भड़क गए और प्रभारी मंत्री व जिला प्रशासन और जनसंपर्क विभाग के नारों सहित एक राय होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार कर दिया। उक्त जानकारी जैसे ही प्रभारी मंत्री तक पहुंची तो उन्होंने हिदायत देते हुए फटकार लगाई और कहा कि आगे से हमारे कार्यक्रम में ऐसा नहीं होना चाहिए, पत्रकारों से सदैव भाई जैसा रिश्ता रहा है उनके हर सवाल का जवाब देना हमारा कर्तव्य है, लेकिन फिर भी गुस्साए पत्रकारों ने प्रेसवार्ता में हिस्सा नहीं लिया। प्रश्न इस बात का है कि आखिर प्रशासन द्वारा इस तरह की हरकत क्यों की गई और किसके कहने पर की गई?
पुलिसबल द्वारा पत्रकारों को रोके जाने पर भी हुई कहा-सुनी
मीडिया कर्मियों का कहना था कि भाजपा के मीडिया प्रभारी द्वारा व्यक्तिगत रूप से सभी पत्रकारों को प्रभारी मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत की प्रेसवार्ता में आमंत्रित किया गया था, लेकिन सभागार में अंदर जाने के लिए पुलिसबल द्वारा उन्हें यह कहकर रोका गया कि जिन पत्रकारों के नाम सूची में हैं उन्हीं पत्रकारों को अंदर जाने की अनुमति मिलेगी। जब पत्रकारों ने बाहर विरोध प्रदर्शन शुर कर दिया उसके बाद सदर विधायक संजीव सिंह कुशवाह को पत्रकारों को अंदर बुलाने के लिए भेजा गया, पत्रकारों ने सभागार में जाने से मना कर दिया विधायक द्वारा अंदर चलकर अपना पक्ष रखने की बात कही गई उसके बाद पत्रकारों ने सभागार में जाकर प्रभारी मंत्री के समक्ष विरोध प्रकट किया। लेकिन प्रभारी मंत्री द्वारा संतुष्टि न मिलने पर सभी पत्रकार प्रेसवार्ता का बहिष्कार कर बाहर निकल आए। पत्रकारों का आरोप था कि कलेक्टर और पीआरओ ने मिलकर चुनिंदा पत्रकारों की सूची तैयार करवाई ताकि जिले में पनपे भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं की पोल न खुल जाए।