धर्म का मार्ग और पुण्य की साधना नहीं छोडऩी चाहिए : विहसंत सागर

मुनिश्री सिरोल से पाद विहार कर सिथौल स्थित नर्सिंग कॉलेज पहुंचे

ग्वालियर, 25 अप्रैल। धर्म के मार्ग और पुण्य संचय का साधन कभी नहीं छोडऩा चाहिए। मनुष्य के जीवन की नैया पार इन्हीं दोनों मार्गों के माध्यम से होनी चाहिए। धर्म का मार्ग और पुण्य संचय का साधन दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। क्योंकि जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलेगा वहीं पुण्यकर्म करेगा। यह बात मेडिटेशन गुरु मुनि श्री विहसंत सागर महाराज ने सोमवार को सिरोल से पाद विहार कर सिथौली स्थित चांडक्य नर्सिंग कॉलेज में धर्म चर्चा में कही।
मुनि श्री विहसंत सागर महाराज ने कहा कि धर्म का मार्ग जीवन में शांति देता है। इंसान को धर्म के साथ शांति का जीवन मिल जाए तो इससे बड़ी कोई पूंजी नहीं हो सकती है। हम अपने जीवन में धर्म और पुण्य दोनों का समावेश आसानी से कर सकते हैं, लेकिन इंसान इनका समावेश नहीं कर रहा है। जिसके कारण मनुष्य भटक रहा है और भटकते भटकते वह मनुष्य का जीवन पूरा कर लेगा। इसके बाद उसे पता नहीं अगले जन्म में कौनसा भव (योनि) मिले। विचारों से ही संस्कारों की उत्पत्ति होती है। यही विचार हमारे जीवन को श्रेष्ठ बनाते हैं। इसलिए मनुष्य को अपनी लगन भगवान के प्रति लगानी चाहिए। जिससे वह इसी जन्म में भव को पार कर सके। मुनिश्री का विहार जैन मिलन युवा नेमिनाथ, संजीव जैन, पारस जैन ,दीपक जैन , सचिन जैन व दिगंबर जैन युवा जागरण मंच पदाधिकारियों ने कराया।

दान और त्याग अपने शक्ति के अनुसार करते रहिए

मुनि श्री विहसंत सागर ने कहा कि जो वस्तु हाथ से छूट जाए उसे त्याग कहते है और जो दिल से छूट जाए उसे वैराग्य कहते है। जो दान देते है उसके साथ हर पर्याय में पुण्य की छाह बनी रहेगी दान और त्याग अपने शक्ति के अनुसार करते रहिए। साधु भी दान करता है, वो अपने ज्ञान का दान देते है। आप द्रव्य का दान करते हैं, यदि आप कमाते हैं तो रोज दान भी करना चाहिए। जैसे कुएं का पानी निकालने पर उसका पानी और शुद्ध होता है, उसी तरह जो दान देते है उनकी संपत्ति भी शुद्ध होती है।

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जैन समाज के प्रविक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनि श्री विहसंत सागर व मुनि श्री विश्वसूर्य सागर महाराज सोमवार को पाद विहार सिरोल से चांडक्स नर्सिंग कॉलेज तक किया। जहां मुनिराजों की आहराचार्य संपन्न हुई। आज रात्रि विश्राम नर्सिंग कॉलेज से चलकर जौरासी स्थित बालाजी कॉलेज में करेंगे। सुबह टेकनपुर पहुंचकर आहराचार्य संपन्न होगी।