जहां स्वार्थ समाप्त होता है मानवता वहीं से प्रारंभ होती है : गोस्वामी जी

श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा पंचम दिवस

भिण्ड, 16 अप्रैल। लहार नगर के फार्मेसी कॉलेज में चल रही श्रीमद् भागवत कथा को श्रवण करने के लिए भिण्ड-दतिया सांसद संध्या राय पहुंची। उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा आरती में भाग लिया और महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया।
श्रीमद् भागवत सप्ताह के पंचम दिवस कथा व्यास गोस्वामी श्री मृदुल कृष्ण जी महाराज ने कहा कि मानव योनि में जन्म लेने मात्र से जीव को मानवता प्राप्त नहीं होती। यदि मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद भी उसमें स्वार्थ की भावना भरी हुई है, तो वह मानव होते हुए भी राक्षसी वृत्ति की पायदान पर खड़ा रहता है। यदि व्यक्ति स्वार्थ की भावना को त्याग कर हमेशा परमार्थ भाव से जीवन यापन करे तो निश्चित रूप से वह एक अच्छा इंसान है, यानी सुदृढ़ मानवता की श्रेणी में खड़ा होकर पर सेवा कार्य में रत है। क्योंकि परमार्थ की भावना ही व्यक्ति को महान बनाती है। श्रीकृष्ण की लीलाओं में पूतना चरित्र पर व्याख्यान देते हुए गोस्वामी जी ने कहा कि कंस ने स्वयं को सब कुछ समझ लिया। हमसे बड़ा कोई न हो। जो हमसे बड़ा बनना चाहे या हमारा विरोधी हो उसको मार दिया जाय। ऐसा निश्चय कर ब्रज क्षेत्र में जितने बालक पैदा हुए हो उनको मार डालो, और इसके लिऐ पूतना राक्षसी को भेजा तो प्रभु बालकृष्ण भगवान ने पूतना को मोक्ष प्रदान किया। इधर कंस प्रतापी राजा उग्रसेन का पुत्र होते भी स्वार्थ लोलुपता अधिकाधिक होने के कारण राक्षसों की श्रेणी में आ गया और भगवान श्रीकृष्ण ने उसका संहार किया।


माखन चोरी लीला प्रसंग पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री ने कहा कि दूध, दही, माखन को खा-खाकर कंस के अनुचर बलवान होकर अधर्म को बढ़ावा दे रहे थे, इसलिए प्रभु ने दूध, दही, माखन को मथुरा कंस के अनुचरों के पास जाने से रोका और छोटे-छोटे ग्वाल-बालों को खिलाया, जिससे वे ग्वाल-बाल बलवान बनें और अधर्मी कंस के अनुचरों को परास्त कर सकें। भगवान श्रीकृष्ण ग्वाल-बालों से इतना प्रेम करते थे कि उनके साथ बैठकर भोजन करते-करते उनका जूठन तक मांग लेते थे। आचार्यश्री ने कहा कि हम जीवन में वस्तुओं से प्रेम करते है और मनुष्यों का उपयोग करते हैं। ठीक तो यह है कि हम वस्तुओं का उपयोग करें और मनुष्यों से प्रेम करें। इसलिए हमेशा से प्रेम की भाषा बोलिये, जिसे बहरे भी सुन सकते हैं और गूंगे भी समझ सकते हैं। प्रभु की माखनचोरी लीला हमें यही शिक्षा प्रदान करती है।
विशेष महोत्सव के रूप मे आज श्री गिरिराज पूजन (छप्पन भोग महोत्सव) धूमधामसे मनाया गया। रविवार को कथा में विशेष महोत्सव के रूप में श्री रुक्मिणी विवाह महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।