नाबालिगा के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को तीन वर्ष का सश्रम कारावास

सागर, 16 फरवरी। विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) जिला सागर श्री दीपाली शर्मा के न्यायालय ने नाबालिगा के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी गुल्लू उर्फ संतोष पटैल पुत्र स्व. गुलाब पटैल उम्र 31 साल निवासी चारोदा खिरिया, थाना मालथौन, हाल गुप्ता गार्डन गुलौआ, थाना छोटी बजरिया बीना, जिला सागर को धारा 452 भादंसं में दो वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में तीन साल का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(1) अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में दो साल का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(अ.क) अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में एक साल का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने से दण्डित करने का आदेश दिया है। प्रकरण में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी/ विशेष अभियोजक रिपा जैन ने राज्य शासन की ओर से पक्ष रखा।
मीडिया प्रभारी/ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सागर सौरभ डिम्हा के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि पीडि़ता ने थाना में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि वह चार जून 2016 को दोपहर करीब तीन बजे घर पर अकेली थी। उसकी माता और पिता काम करने बजरिया गए थे। भाई खेलने गया था, तभी अभियुक्त गुल्लू उर्फ संतोष उसके घर के अंदर आया, उस समय वह खाना बना रही थी। अभियुक्त गुल्लू उर्फ संतोष ने घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और बुरी नियत से उसका हाथ पकड़ लिया। पीडि़ता ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की और चिल्लाई तो उसका भाई वहां आ गया, जिसे देखकर अभियुक्त दरवाजा खोलकर भाग गया। पीडि़ता की उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां अभियोजन ने महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए। न्यायालय ने उभय पक्ष को सुना और प्रकरण के तथ्य, परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत आरोपी गुल्लू उर्फ संतोष पटैल को धारा 452 भादंसं में दो वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में तीन साल का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(1) अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में दो साल का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(अक) अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में एक साल का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया।