भिण्ड क्षेत्र का साहित्य सर्वाधिक और महत्वपूर्ण : डॉ. सेंगर

संस्कार भारती की ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित

भिण्ड, 25 जनवरी। संस्कार भारती भोपाल महानगर द्वारा ऑनलाइन आयोज्य संगोष्ठी में भिण्ड नगर के साहित्यकार डॉ. सुखदेव सिंह सेंगर एवं परमाल सिंह कुशवाह (पीएचडी स्कॉलर) ने भागीदारी कर भिण्ड के साहित्य पर चर्चा की।
डॉ. सुखदेव सिंह सेंगर ने संगोष्ठी में बताया कि नाट्य विधा साहित्य की ऐसी विधा है, जिस पर लोगों ने कम ही कलम चलाई है। इस दृष्टि से प्रदेश के उत्तरी भाग में सर्वाधिक नाट्य लेखन भिण्ड नगर के संतकुमार लोहिया ने किया है। उनकी आठ नाट्य कृतियां प्रकाशित हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात श्री लोहिया के नाटकों में यह है कि उनके सृजन मंचानुसार किया गया है, जो आसानी से खेले और समझे जा सकते हैं। डॉ. सेंगर ने स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के संदर्भ में लोहिया की नाट्य कृति ‘अपनी धरती-अपना देशÓ पर विस्तार से प्रकाश डाला।
श्रीधर उपाध्याय के संग्रह ‘भावनाएंÓ पर बोलते हुए परमाल सिंह कुशवाह ने कहा कि प्रस्तुत संग्रह की कविताएं व्यवहार योग्य होकर चेतनाप्रद हैं। लेखों में मुद्रा, आवागमन वाहन, विवाह आदि का इतिहास है, जो दुर्लभ होकर प्रतियोगी छात्रों के लिए भी उपयोग है। ‘भावनाएंÓ संकलन की आंचलिक सहज-सरल भाषा है, जिससे वह पठनीय और उपयोगी है। इस संगोष्ठी में प्राध्यापकों, छात्रों, सेवानिवृत्त अधिकारियों, साहित्यकारों समाजसेवियों आदि ने भागीदारी की, जिसका संयोजन डॉ. अनीता करकरे भोपाल ने किया।